
नई दिल्ली । 27 जून 2025, शब्दरंग समाचार:
ईरान और इस्राइल के हालिया संघर्ष के बीच भारत ने कूटनीतिक संतुलन बनाए रखा है। भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने गुरुवार को ईरान के विदेश मंत्री सैयद अब्बास अराघची से फोन पर बातचीत की। इस बातचीत में उन्होंने क्षेत्रीय हालात, संघर्षविराम, और भारतीय नागरिकों की सुरक्षा पर चर्चा की।
डॉ. जयशंकर और अब्बास अराघची के बीच क्या हुई बातचीत?
एस. जयशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर जानकारी साझा करते हुए बताया कि उन्होंने ईरान का दृष्टिकोण समझा और भारतीय नागरिकों की सुरक्षित निकासी में मदद के लिए धन्यवाद भी किया। इस दौरान उन्होंने क्षेत्रीय शांति और कूटनीतिक समाधान की जरूरत पर भी बल दिया।
ऑपरेशन सिंधु: भारत ने सुरक्षित निकाले अपने नागरिक
ईरान-इस्राइल संघर्ष के दौरान भारत ने त्वरित प्रतिक्रिया में “ऑपरेशन सिंधु” लॉन्च किया। इसके तहत:
- ईरान से 173 भारतीय नागरिकों को विशेष विमान से वापस लाया गया
- अब तक कुल 4,415 भारतीयों को 19 विशेष उड़ानों के जरिए निकाला गया
- येरेवन (आर्मेनिया) से एक फ्लाइट हाल ही में दिल्ली पहुंची
यह मिशन भारतीय विदेश मंत्रालय और वायुसेना के बेहतरीन समन्वय का उदाहरण रहा।
ईरान-इस्राइल संघर्ष: कैसे बढ़ा तनाव?
- 13 जून को इस्राइल ने ईरान के यूरेनियम संवर्धन स्थलों पर हमला किया
- जवाब में ईरान ने भी आक्रामक रुख अपनाया
- 12 दिनों तक चली हिंसा में सीमित युद्ध जैसी स्थिति बन गई
- 23 जून को अमेरिका ने तीन ईरानी परमाणु ठिकानों पर हमला किया
- 24 जून को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संघर्षविराम की घोषणा की
- यह संघर्षविराम कुछ ही घंटों में टूट गया, लेकिन बाद में अमेरिका के हस्तक्षेप से लागू हुआ
भारत की भूमिका: कूटनीति, संवाद और नागरिक सुरक्षा
भारत ने इस संकट में न तो किसी पक्ष का समर्थन किया और न ही खुद को पूरी तरह अलग रखा।
भारत की रणनीति:
- संतुलित कूटनीतिक संवाद
- नागरिकों की त्वरित सुरक्षा
- क्षेत्रीय स्थिरता के लिए सहयोग
एस. जयशंकर की अराघची से बातचीत इसका स्पष्ट उदाहरण है कि भारत कैसे शांति और स्थिरता के पक्ष में खड़ा रहा।