
राष्ट्रीय समाचार । 07 जुलाई 2025, शब्दरंग समाचार :
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बिहार में चुनाव आयोग द्वारा चलाई जा रही वोटर लिस्ट के स्पेशल इंटेंसिव रिविजन प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने चुनाव आयोग के कार्यालय में जाकर अपनी आपत्ति दर्ज कराई और इसे सुप्रीम कोर्ट तक ले जाने की चेतावनी भी दी।
जल्दबाजी में प्रक्रिया से क्या हो सकता है नुकसान?
ओवैसी ने कहा कि यदि यह प्रक्रिया पर्याप्त समय और सुरक्षा उपायों के बिना पूरी की गई, तो इसका सीधा असर लोगों की नागरिकता, वोटिंग अधिकार और आजीविका पर पड़ेगा। “अगर किसी का नाम हटाया जाता है, तो वह व्यक्ति न केवल वोट देने से चूक जाएगा, बल्कि यह उसकी रोज़ी-रोटी का भी मामला बन सकता है।” – असदुद्दीन ओवैसी
मतदाता सूची से नाम हटना क्यों है खतरनाक?
भारत में मतदाता सूची से नाम हटाए जाने का असर सिर्फ वोटिंग अधिकार तक सीमित नहीं है। कई सरकारी योजनाओं और नौकरियों में पहचान का प्रमुख दस्तावेज वोटर आईडी कार्ड होता है। यदि यह हटाया गया तो:
- बैंकिंग और KYC सेवाओं में समस्या
- सरकारी योजनाओं से बाहर होना
- रोजगार के अवसरों में बाधा चुनाव
आयोग से क्या है मांग?
ओवैसी ने मांग की है कि:
- स्पेशल इंटेंसिव रिविजन प्रक्रिया को स्थगित किया जाए
- इसमें पारदर्शिता, स्थानीय निगरानी, और लोगों को सूचित करने की व्यवस्था हो
- प्रक्रिया के लिए पर्याप्त समय और संसाधन दिए जाएं सुप्रीम कोर्ट का रुख?
सुप्रीम कोर्ट का रुख?
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर अभी अंतिम सुनवाई नहीं दी है, लेकिन यदि बड़े स्तर पर मतदाता सूची से नाम हटाए जाते हैं, तो यह संविधान के अनुच्छेद 326 (वोटिंग अधिकार) के उल्लंघन का मामला बन सकता है।
क्या कहता है चुनाव आयोग?
चुनाव आयोग ने यह प्रक्रिया चुनावी पारदर्शिता और फर्जी वोटरों को हटाने के लिए शुरू की है, लेकिन ओवैसी और कई सामाजिक संगठनों का मानना है कि इसका दुरुपयोग कर कमजोर और अल्पसंख्यक वर्गों को बाहर किया जा सकता है।