
बॉम्बे।9 जून 2025, शब्दरंग समाचार:
बॉम्बे हाईकोर्ट ने ऑपरेशन सिंदूर पर सोशल मीडिया पोस्ट करने को लेकर निष्कासित की गई पुणे की छात्रा के पक्ष में बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने कॉलेज द्वारा जारी निष्कासन आदेश को रद्द करते हुए कहा कि छात्रा का पक्ष सुने बिना कार्रवाई करना प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन है।
कौन है यह छात्रा?
- छात्रा मूल रूप से जम्मू-कश्मीर की रहने वाली है
- वह सिंहगढ़ एकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग, पुणे की छात्रा है
- उसकी उम्र 19 वर्ष है
- उसे पिछले महीने ऑपरेशन सिंदूर के खिलाफ सोशल मीडिया पोस्ट करने पर गिरफ्तार किया गया था
- बाद में उसे जमानत पर रिहा कर दिया गया
हाईकोर्ट की टिप्पणी: कॉलेज की कार्रवाई अनुचित
जस्टिस मकरंद एस. कार्णिक और जस्टिस नितिन आर. बोरकर की खंडपीठ ने कहा “कॉलेज ने छात्रा का पक्ष सुने बिना उसे निष्कासित कर दिया, जो प्राकृतिक न्याय के मूल सिद्धांतों के विपरीत है।”
अदालत ने कॉलेज से कहा कि वह छात्रा को अपना पक्ष रखने का अवसर प्रदान करे
- निष्कासन आदेश को पूरी तरह रद्द कर दिया गया है
- छात्रा को दूसरे वर्ष की सेमेस्टर परीक्षाओं में शामिल होने की अनुमति दी गई
परीक्षा में बैठने की अनुमति और विश्वविद्यालय की भूमिका
- हिरासत में रहने के कारण छात्रा कुछ परीक्षाएं नहीं दे सकी थी
- अदालत ने कहा कि इस मुद्दे पर सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय के परीक्षा बोर्ड को उचित निर्णय लेना चाहिए
- विश्वविद्यालय को छात्रा के अभ्यावेदन पर शीघ्र निर्णय लेने के निर्देश दिए गए
ऑपरेशन सिंदूर विवाद क्या है?
ऑपरेशन सिंदूर भारत सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर में की गई एक सैन्य कार्रवाई से संबंधित है।
छात्रा द्वारा सोशल मीडिया पर की गई पोस्ट को देशविरोधी माना गया, जिसके आधार पर उसे गिरफ्तार कर निष्कासित किया गया।