
मुंबई । 30 जून 2025, शब्दरंग समाचार:
महाराष्ट्र सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट को जानकारी दी है कि वह पीओपी (Plaster of Paris) से बनी गणेश मूर्तियों के विसर्जन पर तीन हफ्तों में नीति बनाएगी। हाईकोर्ट ने यह सुनिश्चित करने को कहा कि नीति बनने में अब देरी न हो, क्योंकि अगस्त से गणेशोत्सव जैसे महत्वपूर्ण त्योहार शुरू हो रहे हैं।
हाईकोर्ट की सख्ती: विसर्जन पर समयबद्ध नीति की मांग
मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति संदीप मार्ने की खंडपीठ ने सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान राज्य सरकार से कहा कि वह 23 जुलाई 2025 तक विसर्जन नीति प्रस्तुत करे ताकि समय रहते उस पर विचार किया जा सके।
सरकार ने मांगा तीन सप्ताह का समय
महाराष्ट्र के महाधिवक्ता बीरेन्द्र साराफ ने कोर्ट को बताया कि सरकार इस मुद्दे पर बैठकें कर चुकी है और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की गाइडलाइन के अनुरूप विसर्जन नीति बनाने की प्रक्रिया जारी है। उन्होंने इसके लिए तीन सप्ताह का अतिरिक्त समय मांगा, जिसे कोर्ट ने मंजूर किया।
कोर्ट का पुराना आदेश: निर्माण और बिक्री को मिली थी अनुमति
इससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने केवल पीओपी मूर्तियों के निर्माण और बिक्री की अनुमति दी थी, लेकिन प्राकृतिक जल स्रोतों में उनके विसर्जन पर रोक को बरकरार रखा था।
याचिकाओं की पृष्ठभूमि: मूर्तिकारों के मौलिक अधिकारों का सवाल
यह मामला तब शुरू हुआ जब गणेश मूर्ति निर्माताओं की संस्थाओं ने CPCB की गाइडलाइन को चुनौती देते हुए याचिकाएं दाखिल कीं। उनका तर्क था कि यह मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है क्योंकि इससे उनके रोजगार और धार्मिक स्वतंत्रता प्रभावित होती है।
बाद में CPCB ने स्पष्ट किया कि गाइडलाइन केवल विसर्जन से जुड़ी है, न कि निर्माण और बिक्री से। इसके आधार पर कोर्ट ने निर्माण को हरी झंडी दी, लेकिन विसर्जन पर नीति बनाने की जिम्मेदारी राज्य सरकार पर छोड़ दी।
विसर्जन से जुड़ी पर्यावरणीय चिंताएं
पीओपी से बनी मूर्तियां :
- जल स्रोतों में लंबे समय तक नष्ट नहीं होतीं
- रासायनिक रंगों से जल प्रदूषण होता है
- जलीय जीवों के लिए खतरा पैदा होता है
इन्हीं कारणों से CPCB और एनवायरनमेंटल एक्टिविस्ट्स पीओपी मूर्तियों के विसर्जन पर रोक की मांग करते रहे हैं।