गीत गज़लो से महक बोता है
वो ही कैसर कलीम होता है
डॉ कलीम क़ैसर, एम ए, पी एच डी,02-10-1958 को बलरामपुर में जन्मे हैं आपकी शिक्षा दीक्षा ,बलरामपुर, और जयपुर में हुई है, आपने भारतीय समाज और ग़ज़ल पर जयपुर विश्वविद्यालय से 1988 में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की है ।विगत 49, वर्षों से हिंदी उर्दू जगत में अन्तर राष्ट्रीय स्तर पर दोनो भाषाओं के मध्य सेतु का काम कर रहे है , देवनागरी और उर्दू में आपकी कुल 08 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं जिसमे 02 पुस्तक उर्दू अकादमी द्वारा पुरुस्कृत भी है, उत्तरप्रदेश के राज्यपाल महामहिम राम नाईक जी के हाथों “ग़ज़ल गंधा” सम्मान यशस्वी मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ जी से नागरिक सम्मान से सम्मानित हो चुके है ।अब तक देश की 100 संस्थाओं ने आपको सम्मानित किया है जिसकी एक लंबी सूची हैअन्तर राष्ट्रीय स्तर पर आप विगत 24 वर्षोँ से भारत का प्रतिनिधित्व विदेशों में कर रहे हैं और हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार में लगे हैं विगत 22 वर्षों से आप भारतीय गणतन्त्र दिवस महोत्सव UAE ( दुबई )के साहित्यिक कोएडिनटोर हैं आप वाचिक परम्परा के कुशल साहित्यकार एवं मंच संचालक हैं आपकी रचनाएँ समसामयिक और दिशा देने वाली होती हैं राष्ट्रीय एवं अंतर राष्ट्रीय साहित्यिक पत्र पत्रिकाओं में आपकी रचनाएँ एवं आलेख प्रकाशित होते रहते हैं ।आज सिर्फ दो शेरों से संतोष करिए जल्द ही शब्द रंग डॉ कलीम कैंसर जी के ग़ज़लों के गुलशन में सैर कराएगा रु ब रु
युगों युगों गूंजे ये नारा केवल इक दो सदी नहीं
भारत जैसा देश नहीं और गंगा जैसी नदी नहीं
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इश्क ऐसी ज़बान है प्यारे
जिसको गूंगा भी बोल सकता है