
नई दिल्ली । 14 जुलाई 2025, शब्दरंग समाचार :
भारत के सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर अहम टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि नागरिकों को अपनी आज़ादी की कीमत समझनी चाहिए और स्व-नियंत्रण के साथ सोशल मीडिया पर अपनी बात रखनी चाहिए। यह टिप्पणी कोर्ट ने सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट को लेकर दर्ज कई एफआईआर के संदर्भ में दी।
क्या है पूरा मामला?
यह टिप्पणी वजाहत खान की याचिका पर सुनवाई के दौरान आई।
- उन पर हिंदू देवी के खिलाफ आपत्तिजनक सोशल मीडिया पोस्ट करने का आरोप है।
- उनके खिलाफ असम, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और हरियाणा में केस दर्ज हैं।
- वजाहत का कहना है कि उन्होंने पहले खुद एक सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर के खिलाफ शिकायत की थी, जिसके बाद उल्टा उनके खिलाफ ही कई एफआईआर हो गईं।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
नागरिकों को खुद पर नियंत्रण रखना चाहिए
कोर्ट ने कहा कि “हम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन यह समझना जरूरी है कि इस स्वतंत्रता की सीमाएं हैं और नागरिकों को अपने शब्दों में संयम रखना चाहिए।”
सोशल मीडिया पर बढ़ती वैमनस्यता चिंता का विषय
न्यायालय ने सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही विभाजनकारी प्रवृत्तियों पर भी चिंता जताई और कहा कि “राज्य को ऐसे मामलों में हस्तक्षेप करने की ज़रूरत न पड़े — इसके लिए जरूरी है कि लोग खुद जिम्मेदारी लें।”
भाईचारा और एकता की रक्षा करें
कोर्ट ने यह भी कहा कि “आज के दौर में जब समाज में अलगाववादी विचार तेजी से बढ़ रहे हैं, भाईचारा और एकता बनाए रखना नागरिकों की जिम्मेदारी है।”
अगली सुनवाई में बड़ा मुद्दा उठेगा
कोर्ट ने वजाहत खान को 14 जुलाई 2025 तक गिरफ्तारी से राहत दी है और वकीलों से आग्रह किया है कि वे इस विषय पर सुझाव दें: “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कैसे जिम्मेदारी और आत्मनियंत्रण के साथ उपयोग में लाया जाए?”
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता: अधिकार और सीमाएं
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 19(1)(a) हर नागरिक को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देता है।
लेकिन अनुच्छेद 19(2) इसके साथ कुछ युक्तिपूर्ण प्रतिबंध भी लगाता है जैसे कि:
- देश की एकता और अखंडता
- सार्वजनिक व्यवस्था
- शिष्टाचार और नैतिकता
- अपराधों की उकसावन रोकना
सोशल मीडिया पर संयम क्यों ज़रूरी है?
कारण | विवरण |
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फेक न्यूज़ | गलत जानकारी समाज में तनाव फैला सकती है |
हेट स्पीच | सांप्रदायिक और जातिगत टकराव बढ़ाता है |
कानूनी कार्रवाई | आपत्तिजनक पोस्ट पर FIR और गिरफ्तारी संभव |
सामाजिक तानाबाना | अभद्र भाषा से सामाजिक समरसता पर असर |