दीपावली के शुभ अवसर पर मुम्बई की एक सोसायटी में कुछ एक समुदाय के लोगों में रोशनी करने पर प्रतिबंध लगाया गया, जिसके कारण सोसायटी और आसपास के इलाके तनावपूर्ण हैं। दीवाली के पहले बकरीद के त्योहार में सोसायटी ने उस प्रांगण में बकरा काटने पर प्रतिबंध लगाया था।इसी के प्रतिक्रियास्वरूप मुस्लिम युवकों ने दिवाली में रोशनी करने पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश किया। जिससे तनाव व्याप्त है। जबकि रोशनी करना और बकरा काटना , कुर्बानी देना या बलि देना दोनों अलग अलग चीजें हैं ।दोनों समुदायों को आपस में मिलजुल कर मामले का निपटारा करना चाहिए।बकरा काटना और रोशनी जलाना दोनों को समान दृष्टि से आप नहीं देख सकते हैं। रोशनी करना एक अनुपम कार्य है।और कुर्बानी देना मजहब के हिसाब से अनुपम कार्य हो सकता है। लेकिन जीव हत्या और रोशनी करना दोनों में बहुत अंतर है इसलिए सोसायटी को आपस में मिलजुल कर तनाव को खत्म करना चाहिए। पूरे देश की तरह उस सोसायटी को भी जगमग होने का मौका मिलना चाहिए।
कपास पर आयात शुल्क की छूट दिसंबर तक बढ़ी, किसान संगठनों ने जताया विरोध
नई दिल्ली। शब्दरंग समाचार: केंद्र सरकार ने कपास पर आयात शुल्क से मिलने वाली छूट को बढ़ाकर 31 दिसंबर 2025 तक कर दिया है। वित्त मंत्रालय की ओर से जारी…