
शब्दरंग समाचार: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एक रिपोर्ट में खुलासा किया है कि वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही (अप्रैल से सितंबर) में बैंक धोखाधड़ी के मामलों में आठ गुना वृद्धि हुई है। इस दौरान कुल धोखाधड़ी का आंकड़ा 21,367 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में मात्र 2,623 करोड़ रुपये था। इस चिंताजनक वृद्धि ने बैंकिंग प्रणाली की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
RBI की चेतावनी और निर्देश
RBI ने बैंकों को सतर्क रहने और अपनी सुरक्षा प्रणालियों को सुदृढ़ करने के लिए सख्त निर्देश दिए हैं।
इनमें निम्नलिखित प्रमुख कदम शामिल हैं:
1. धोखाधड़ी की तत्काल रिपोर्टिंग:
बैंकों से कहा गया है कि वे धोखाधड़ी के मामलों की रिपोर्टिंग में कोई देरी न करें और घटनाओं को तुरंत रिकॉर्ड करें। इसके लिए एक मजबूत रिपोर्टिंग प्रणाली स्थापित करने का निर्देश दिया गया है।
2. साइबर सुरक्षा मजबूत करना:
डिजिटल लेन-देन में तेजी से बढ़ोतरी को देखते हुए, RBI ने बैंकों को साइबर सुरक्षा उपायों को मजबूत करने और धोखाधड़ी रोकने के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग करने का निर्देश दिया है।
3. ग्राहकों को जागरूक करना:
RBI ने बैंकों से कहा है कि वे ग्राहकों को व्यक्तिगत और वित्तीय जानकारी की सुरक्षा के प्रति जागरूक करें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना देने के लिए प्रोत्साहित करें।
4. मामलों का विश्लेषण और समाधान:
धोखाधड़ी की घटनाओं का विश्लेषण कर उनके रोकथाम के उपायों को बेहतर बनाने की सलाह दी गई है।
कहां हो रही हैं अधिक घटनाएं?
RBI की रिपोर्ट के अनुसार, धोखाधड़ी के मामलों में:
- पब्लिक सेक्टर बैंक: राशि के मामले में सबसे ज्यादा नुकसान।
- सेक्टर बैंक: धोखाधड़ी की संख्या सबसे अधिक।
- कार्ड और इंटरनेट फ्रॉड: डिजिटल बैंकिंग के बढ़ते उपयोग के साथ इसमें बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
ग्राहकों के लिए सुझाव
अपनी वित्तीय जानकारी किसी के साथ साझा न करें।ऑनलाइन लेन-देन करते समय सतर्क रहें।किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत रिपोर्ट करें।बैंक से मिलने वाले अलर्ट को ध्यान से पढ़ें और समय पर कार्रवाई करें।
बढ़ती धोखाधड़ी के कारण और समाधान
विशेषज्ञों का मानना है कि डिजिटल लेन-देन में तेजी और नई तकनीकों के दुरुपयोग के चलते धोखाधड़ी के मामले बढ़े हैं। इसे रोकने के लिए बैंकिंग सिस्टम और ग्राहकों के बीच सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है।
RBI की रिपोर्ट बैंकों और ग्राहकों के लिए एक चेतावनी है। समय पर उचित कदम उठाने से न केवल बैंकिंग प्रणाली को सुरक्षित किया जा सकता है, बल्कि ग्राहकों का विश्वास भी कायम रहेगा। धोखाधड़ी पर रोक लगाना एक सामूहिक जिम्मेदारी है, जिसमें बैंकों, सरकार और ग्राहकों को मिलकर काम करना होगा।