शब्दरंग समाचार: जन सुराज पार्टी के प्रमुख प्रशांत किशोर (पीके) को पटना पुलिस ने बीपीएससी छात्रों के समर्थन में गांधी मैदान में धरना देते समय गिरफ्तार कर लिया। तड़के 4 बजे हुई इस कार्रवाई के दौरान पीके को हिरासत में लेकर पटना एम्स में मेडिकल जांच के लिए ले जाया गया। पुलिस की इस कार्रवाई के बाद गांधी मैदान और एम्स परिसर में भारी हंगामा हुआ।
पीके के समर्थकों और पुलिस के बीच झड़प
प्रशांत किशोर के समर्थकों ने उनके समर्थन में गांधी मैदान और एम्स परिसर में प्रदर्शन किया। एम्स जाते समय पुलिस वैन को रोकने के लिए समर्थक एंबुलेंस के सामने लेट गए, जिन्हें पुलिस ने बलपूर्वक हटाया। एम्स के बाहर सुरक्षा के मद्देनजर भारी पुलिसबल तैनात किया गया, जिससे पूरा इलाका छावनी में बदल गया।
गिरफ्तारी और जमानत
गिरफ्तारी के बाद प्रशांत किशोर को पटना सिविल कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें जमानत मिल गई। जन सुराज पार्टी ने पुलिस पर प्रशांत किशोर के साथ बर्बरता का आरोप लगाते हुए कहा कि यह कदम सरकार की जनविरोधी नीतियों का प्रतीक है।
बिहार में प्रशांत किशोर की सियासी पारी
प्रशांत किशोर ने 2 अक्टूबर 2024 को जन सुराज पार्टी लॉन्च कर बिहार की राजनीति में अपनी पारी शुरू की थी। पार्टी की लॉन्चिंग के साथ ही उन्होंने 3000 किलोमीटर लंबी पदयात्रा शुरू की, जिसका उद्देश्य बिहार की समस्याओं को समझना और जनता के साथ संवाद करना था। इस यात्रा के दौरान उन्होंने 665 दिनों में 2697 गांवों का दौरा किया।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025: पीके का रियल टेस्ट
2025 बिहार विधानसभा चुनाव प्रशांत किशोर के राजनीतिक करियर की दिशा तय करेगा। उपचुनावों में मिली हार के बाद यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि उनकी विचारधारा और जनसंपर्क अभियान उन्हें कितनी राजनीतिक जमीन दिला पाता है।
प्रशांत किशोर का बयान
गिरफ्तारी से पहले अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा, “मैं यहां सिर्फ चुनाव जीतने नहीं, बल्कि बिहार के विकास और जनता के लिए वास्तविक बदलाव लाने आया हूं।”
विरोधियों के तंज
बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने पीके पर तंज कसते हुए कहा, “वैनिटी वैन में तो एक्टर लोग बैठते हैं, नेता जनता के साथ खड़े होते हैं।”
प्रशांत किशोर की गिरफ्तारी ने बिहार की राजनीति में एक नई बहस छेड़ दी है। बीपीएससी छात्रों के समर्थन में उनके इस कदम ने जहां उनके समर्थकों में उत्साह बढ़ाया है, वहीं उनकी पार्टी के लिए यह एक नई चुनौती बनकर उभरी है। अब देखना होगा कि आगामी चुनावों में प्रशांत किशोर अपनी लोकप्रियता को राजनीतिक सफलता में बदल पाते हैं या नहीं।