
शब्दरंग समाचार: नवरात्रि हिन्दू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जो देवी दुर्गा के नौ रूपों की आराधना के लिए मनाया जाता है। यह पर्व वर्ष में दो बार आता है—चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि। नवरात्रि का अर्थ है ‘नौ रातें’, जिनमें शक्ति, भक्ति और साधना का विशेष महत्व होता है। इस दौरान भक्त देवी दुर्गा की पूजा-अर्चना करते हैं, उपवास रखते हैं और गरबा-डांडिया जैसे पारंपरिक नृत्य करते हैं।
नवरात्रि का महत्व
नवरात्रि न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह आत्मशुद्धि और आत्मबल बढ़ाने का भी पर्व है। मान्यता है कि इन नौ दिनों में देवी दुर्गा धरती पर निवास करती हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद देती हैं। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देता है, क्योंकि इसी दौरान भगवान राम ने रावण का वध करने के लिए शक्ति प्राप्त की थी।
नौ दिनों की पूजा विधि
नवरात्रि के नौ दिनों में देवी के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है:
1. शैलपुत्री – माँ दुर्गा का प्रथम रूप, हिमालय पुत्री।
2. ब्रह्मचारिणी – तपस्या और संयम की देवी।
3. चंद्रघंटा – सौंदर्य और वीरता की प्रतीक।
4. कूष्माण्डा – ब्रह्मांड की रचनाकार।
5. स्कंदमाता – भगवान कार्तिकेय की माता।
6. कात्यायनी – महिषासुर मर्दिनी।
7. कालरात्रि – अज्ञान और भय का नाश करने वाली।
8. महागौरी – श्वेतवर्ण, शांति और करुणा की देवी।
9. सिद्धिदात्री – सिद्धियों की प्रदाता।
नवरात्रि के विशेष अनुष्ठान
इस पर्व के दौरान कई भक्त उपवास रखते हैं, देवी माँ की चौकी सजाते हैं, अखंड ज्योत जलाते हैं और माँ दुर्गा के भजन-कीर्तन करते हैं। विशेष रूप से कन्या पूजन का आयोजन किया जाता है, जिसमें नौ कन्याओं को देवी के प्रतीक रूप में पूजित किया जाता है।
सांस्कृतिक और सामाजिक पक्ष
नवरात्रि का सांस्कृतिक पक्ष भी बहुत समृद्ध है। गुजरात और महाराष्ट्र में गरबा और डांडिया-रास का आयोजन किया जाता है, जिसमें पुरुष और महिलाएं रंग-बिरंगे परिधानों में नृत्य करते हैं। पश्चिम बंगाल में इसे दुर्गा पूजा के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है, जहाँ माँ दुर्गा की भव्य प्रतिमाओं की स्थापना की जाती है।
नवरात्रि का आध्यात्मिक पक्ष
यह पर्व केवल बाह्य रूप से पूजन और अनुष्ठान का नहीं, बल्कि आत्मचिंतन और आत्मशुद्धि का भी समय है। यह हमें सिखाता है कि शक्ति का सही उपयोग कर हम अपने जीवन की कठिनाइयों को दूर कर सकते हैं और आत्मिक उत्थान प्राप्त कर सकते हैं।
नवरात्रि शक्ति, भक्ति और साधना का पर्व है, जो हमें यह प्रेरणा देता है कि हम अपने भीतर की नकारात्मक शक्तियों को नष्ट करें और सकारात्मक ऊर्जा को अपनाएँ। यह पर्व केवल धार्मिक महत्व ही नहीं रखता, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से भी हमें जोड़ता है। इस नवरात्रि, आइए हम सभी माँ दुर्गा से शक्ति, शांति और समृद्धि की प्रार्थना करें।