सोने में निवेश: अपने सोने के आभूषण, गोल्ड ईटीएफ बेचते समय आपको क्या जानना चाहिए?

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शब्दरंग समाचार: 23 जुलाई, 2024 से भारत में सोने पर पूंजीगत लाभ कराधान नियमों में महत्वपूर्ण बदलाव लागू हुए हैं। इन परिवर्तनों का उद्देश्य सोना, म्यूचुअल फंड, और रियल एस्टेट जैसी परिसंपत्तियों में कर प्रक्रिया को सुसंगत और स्पष्ट बनाना है। इससे निवेशकों और आभूषण विक्रेताओं पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ा है।

1. पूंजीगत लाभ कर और स्वामित्व अवधि

सोने के आभूषणों की बिक्री से होने वाले लाभ पर कर अब स्वामित्व की अवधि पर निर्भर करता है:

दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ (LTCG): यदि आभूषण 3 साल से अधिक समय तक रखे गए हैं, तो बिक्री पर 20% की दर से कर लगाया जाता है, जिसमें इंडेक्सेशन लाभ लागू होता है।

अल्पकालिक पूंजीगत लाभ (STCG): यदि आभूषण 3 साल से कम अवधि में बेचे जाते हैं, तो लाभ पर व्यक्ति के आयकर स्लैब के अनुसार कर लगाया जाता है।

2. विरासत में मिले आभूषणों पर कर नियम

पूर्वजों से प्राप्त आभूषणों को पूंजीगत संपत्ति माना जाता है। यदि ये 1 अप्रैल 2001 से पहले खरीदे गए थे, तो उनकी अधिग्रहण लागत उस तिथि के उचित बाजार मूल्य (FMV) पर आधारित होगी। होल्डिंग अवधि की गणना पूर्वजों की खरीद तिथि से की जाती है। यदि यह अवधि तीन वर्ष से अधिक है, तो यह LTCG के अंतर्गत आएगा।

3. सोने के आभूषण खरीदते समय कर

सोने के आभूषण खरीदते समय कुल कीमत (जिसमें मेकिंग चार्ज भी शामिल होता है) पर 3% GST देना होता है। हालांकि, इस पर कोई आयकर नहीं लगता।

4. गोल्ड ईटीएफ और गोल्ड म्यूचुअल फंड पर करढ

1 अप्रैल, 2025 से गोल्ड ETF और गोल्ड म्यूचुअल फंड पर भी नए कर नियम लागू होंगे:

यदि निवेश 24 महीने से अधिक समय तक रखा गया है, तो इस पर 12.5% LTCG (इंडेक्सेशन के बिना) लगेगा।

24 महीने से कम होल्डिंग पर लाभ को STCG माना जाएगा और व्यक्ति के टैक्स स्लैब के अनुसार कर लगेगा।

यह बदलाव सरकार द्वारा डेट म्यूचुअल फंड की नई परिभाषा के अनुरूप किए गए हैं, जिसमें अब 65% से अधिक निवेश ऋण और मुद्रा बाजार उपकरणों में होना चाहिए।

5. बिना बिल वाले आभूषणों की बिक्री

यदि खरीद का बिल उपलब्ध नहीं है, तो मूल्य निर्धारण के लिए पंजीकृत मूल्यांकनकर्ता (Registered Valuer) से मूल्यांकन कराया जा सकता है, जिससे अधिग्रहण लागत और कर योग्य लाभ की सही गणना की जा सके।

सोने में निवेश अब केवल आभूषण खरीदने तक सीमित नहीं रह गया है। निवेशक को अब कर नियमों की पूरी जानकारी होनी चाहिए, ताकि सही समय पर निवेश बेचने या बनाए रखने का निर्णय लिया जा सके। दीर्घकालिक निवेश को बढ़ावा देने वाले ये नियम आपको योजना बनाने में मदद करेंगे।

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