नई दिल्ली, 6 अप्रैल 2025 , शब्दरंग समाचार:
रियल एस्टेट सेक्टर में एक अहम रिपोर्ट सामने आई है, जिसके अनुसार 50 लाख रुपये से कम कीमत वाले घरों की बिक्री में 9% की गिरावट दर्ज की गई है। संपत्ति सलाहकार फर्म नाइट फ्रैंक इंडिया की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, जनवरी से मार्च 2025 के बीच देश के आठ प्रमुख शहरों में अफोर्डेबल हाउसिंग सेगमेंट में मांग में तेज गिरावट आई है।
क्यों गिरी बिक्री?
रिपोर्ट के अनुसार, इस गिरावट के पीछे तीन मुख्य वजहें हैं:
1. अत्यधिक बढ़ी हुई कीमतें,
2. ऊंची ब्याज दरें,
3. और सस्ते घरों की कम होती आपूर्ति।
विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड-19 के बाद डेवलपर्स का ध्यान मिड-सेगमेंट और लक्जरी हाउसिंग की ओर चला गया है। अफोर्डेबल हाउसिंग को लगभग नजरअंदाज किया गया है, जिससे इस सेगमेंट में घरों की भारी कमी हो गई है।
अफोर्डेबल हाउसिंग अब अफोर्डेबल नहीं रही
पिछले चार सालों में घरों की कीमतों में तेज़ी से वृद्धि हुई है। रिपोर्ट के अनुसार, जो घर पहले 50 लाख में आते थे, अब वे एक करोड़ तक पहुंच गए हैं। यह बदलाव मिडिल क्लास के लिए घर खरीदने के सपने को और मुश्किल बना रहा है। नतीजतन, कई लोग चाहकर भी घर नहीं खरीद पा रहे हैं।
सिर्फ प्रीमियम सेगमेंट में हलचल
जहां एक तरफ सस्ते घरों की बिक्री में गिरावट देखी गई है, वहीं दूसरी तरफ प्रीमियम और लग्जरी हाउसिंग में थोड़ी बहुत वृद्धि हुई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि एक से दो करोड़ रुपये की कीमत वाले घरों की बिक्री में 2% की बढ़ोतरी हुई है, और इस सेगमेंट में 22,330 यूनिट्स बेची गईं।
जनवरी-मार्च 2025 की तिमाही में आठ प्रमुख शहरों में कुल 88,274 घरों की बिक्री हुई, जो साल दर साल 2% की वृद्धि है।
किन शहरों में लिया गया आंकड़ा?
रिपोर्ट में शामिल 8 प्रमुख शहर हैं:
दिल्ली-एनसीआर, मुंबई महानगर क्षेत्र (MMR), कोलकाता, चेन्नई, पुणे, हैदराबाद, बेंगलुरु और अहमदाबाद।
इन शहरों में 50 लाख से कम कीमत वाले घरों की बिक्री 21,010 यूनिट्स तक ही सिमट कर रह गई, जो पिछले साल की तुलना में 9% कम है।
यदि डेवलपर्स समय रहते अफोर्डेबल हाउसिंग की तरफ रुख नहीं करते, तो रियल एस्टेट सेक्टर एक बार फिर मंदी की चपेट में आ सकता है। सरकार और डेवलपर्स दोनों को मिलकर बजट-फ्रेंडली घरों की सप्लाई बढ़ाने की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे।