
कोलकाता | 8 अप्रैल 2025: पश्चिम बंगाल में शिक्षक बहाली मामले पर सुप्रीम कोर्ट के सख्त फैसले के बाद राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को स्पष्ट किया कि उनकी सरकार किसी भी योग्य उम्मीदवार की नौकरी नहीं जाने देगी। उन्होंने कहा कि सरकार वैकल्पिक व्यवस्था के तहत शिक्षकों की नौकरी बहाल रखने के लिए कानूनी दायरे में रहकर सभी जरूरी कदम उठाएगी।
क्या है मामला?
बीते गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (SSC) द्वारा की गई लगभग 25,000 शिक्षकों और गैर-शिक्षकों की नियुक्तियों को रद्द कर दिया था। कोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताओं को गंभीर बताते हुए इसे निष्प्रभावी करार दिया और तीन महीने के भीतर नई बहाली प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया।
इससे पहले अप्रैल 2023 में कलकत्ता हाईकोर्ट ने भी यही फैसला सुनाया था, जिसे राज्य सरकार और आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। अब शीर्ष अदालत ने मामूली संशोधनों के साथ हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है।
ममता बनर्जी का वादा
सोमवार को कोलकाता के नेताजी इंडोर स्टेडियम में प्रभावित शिक्षकों के साथ बैठक के दौरान ममता बनर्जी ने कहा, “मैं अपने जीते-जी किसी योग्य शिक्षक की नौकरी नहीं छिनने दूंगी। सरकार सुप्रीम कोर्ट से फैसले की व्याख्या मांगेगी और यदि जरूरत पड़ी, तो समीक्षा याचिका दाखिल की जाएगी।”
उन्होंने यह भी कहा कि जिन शिक्षकों के खिलाफ कोई आपराधिक या भ्रष्टाचार का आरोप नहीं है, उनके लिए वैकल्पिक नियुक्ति की व्यवस्था दो महीने के भीतर की जाएगी।
डिप्राइव्ड टीचर्स एसोसिएशन की मांगें
इस मुद्दे से प्रभावित हज़ारों शिक्षकों ने ‘डिप्राइव्ड टीचर्स एसोसिएशन’ के तहत संगठित होकर मुख्यमंत्री से मुलाकात की। संगठन ने मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ तुरंत समीक्षा याचिका दाखिल की जाए और तब तक किसी शिक्षक को सेवा से बाहर न किया जाए।
संगठन ने यह भी मांग रखी कि नई बहाली प्रक्रिया शुरू करने से पहले अदालत यह स्पष्ट करे कि योग्य और अयोग्य उम्मीदवारों की सूची किसके पास है—SSC या अदालत के पास।
हंगामा और सुरक्षा व्यवस्था
बैठक से पहले स्टेडियम परिसर में ‘योग्य’ और ‘अयोग्य’ उम्मीदवारों के बीच झड़प की खबरें भी सामने आईं। हालात को काबू में लाने के लिए पुलिस और रैपिड एक्शन फ़ोर्स को तैनात किया गया। कुछ उम्मीदवारों के पास ‘हम लोग योग्य हैं’ लिखा हुआ पास भी देखा गया, जिसकी वैधता पर सवाल खड़े हुए।
शिक्षकों की प्रतिक्रिया
बैठक के बाद शिक्षकों की प्रतिक्रियाएं मिली-जुली रहीं। कुछ ने कहा कि वे मुख्यमंत्री की बात मानते हुए स्कूल वापस लौटेंगे, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि उन्हें वेतन मिलेगा या नहीं।
नदिया जिले के शिक्षक मोहम्मद मुर्शीद विश्वास ने कहा, “कल से स्कूल जाऊंगा, आगे जो होगा देखा जाएगा।” वहीं दक्षिण 24 परगना की अनुभा का कहना था, “बिना वेतन काम नहीं करूंगी, लेकिन नौकरी तब तक बरकरार है जब तक बर्खास्तगी का आदेश नहीं आता।”
राजनीतिक पृष्ठभूमि और ममता की रणनीति
ममता बनर्जी का यह तेवर केवल प्रशासनिक नहीं बल्कि राजनीतिक भी है। 2026 में राज्य विधानसभा चुनाव संभावित हैं और राज्य सरकार शिक्षकों के इस बड़े वर्ग का समर्थन नहीं गंवाना चाहती। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि वे मानवता के आधार पर योग्य शिक्षकों को न्याय दिलाने के लिए हरसंभव प्रयास करेंगी—even if it means going to jail.
आगे की राह
अब निगाहें सुप्रीम कोर्ट में दायर होने वाली समीक्षा याचिका और राज्य सरकार की वैकल्पिक बहाली प्रक्रिया पर टिकी हैं। बड़ा सवाल यह है कि क्या सरकार कोर्ट की अनुमति से योग्य शिक्षकों की सेवा बहाल रख सकेगी या फिर नई भर्ती प्रक्रिया से ही सारी नौकरियां तय होंगी