“राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के 14 संवैधानिक सवाल: क्या सुप्रीम कोर्ट विधेयकों पर समयसीमा तय कर सकता है?”

नई दिल्ली।15 मई 2025, शब्दरंग समाचार:

भारत के संविधान में राष्ट्रपति और राज्यपालों को विधेयकों पर निर्णय लेने का अधिकार प्रदान किया गया है। हालांकि, हाल के सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने इस प्रक्रिया में समयसीमा निर्धारित करने की आवश्यकता को उजागर किया है। इस संदर्भ में, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट से 14 संवैधानिक प्रश्न पूछे हैं।

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

8 अप्रैल 2025 को, सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु राज्य के मामले में एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया। कोर्ट ने कहा कि राज्यपालों के पास विधेयकों पर निर्णय लेने के लिए अनिश्चितकालीन समय नहीं हो सकता। यदि राज्यपाल विधेयकों पर निर्णय नहीं लेते, तो यह न्यायिक समीक्षा के अधीन होगा। कोर्ट ने अनुच्छेद 200 और 201 के तहत समयसीमा निर्धारित करने की आवश्यकता पर बल दिया।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के 14 संवैधानिक प्रश्न

राष्ट्रपति मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट से निम्नलिखित 14 प्रश्न पूछे हैं:

1. अनुच्छेद 200 के तहत राज्यपाल के पास क्या संवैधानिक विकल्प हैं?
2. क्या राज्यपाल मंत्रिपरिषद की सलाह से बाध्य हैं?
3. क्या राज्यपाल के विवेक का प्रयोग न्यायिक समीक्षा के अधीन है?
4. क्या अनुच्छेद 361 और 200 राज्यपाल के कार्यों की न्यायिक जांच पर पूर्ण प्रतिबंध लगाते हैं?
5. क्या न्यायालय राज्यपालों के लिए समयसीमा निर्धारित कर सकते हैं?
6. क्या अनुच्छेद 201 के तहत राष्ट्रपति का विवेक न्यायिक समीक्षा के अधीन है?
7. क्या न्यायालय अनुच्छेद 201 के तहत राष्ट्रपति के विवेकाधिकार के लिए समयसीमा और प्रक्रियागत आवश्यकताएं निर्धारित कर सकते हैं?
8. क्या राज्यपाल द्वारा आरक्षित विधेयकों पर निर्णय लेते समय राष्ट्रपति को अनुच्छेद 143 के तहत सर्वोच्च न्यायालय की राय लेनी चाहिए?
9. क्या अनुच्छेद 200 और 201 के तहत राज्यपाल और राष्ट्रपति द्वारा लिए गए निर्णय, किसी कानून के आधिकारिक रूप से लागू होने से पहले न्यायोचित हैं?
10.क्या न्यायपालिका अनुच्छेद 142 के माध्यम से राष्ट्रपति या राज्यपाल द्वारा प्रयोग की जाने वाली संवैधानिक शक्तियों को संशोधित या रद्द कर सकती है?
11.क्या अनुच्छेद 200 के अंतर्गत राज्यपाल की स्वीकृति के बिना कोई राज्य कानून लागू हो जाता है?
12. क्या सर्वोच्च न्यायालय की किसी पीठ को पहले यह निर्धारित करना होगा कि क्या किसी मामले में पर्याप्त संवैधानिक व्याख्या शामिल है और फिर उसे अनुच्छेद 145(3) के तहत पांच न्यायाधीशों की पीठ को भेजना होगा?
13. क्या अनुच्छेद 142 के अंतर्गत सर्वोच्च न्यायालय की शक्तियां प्रक्रियात्मक मामलों से आगे बढ़कर ऐसे निर्देश जारी करने तक विस्तारित हैं जो मौजूदा संवैधानिक या वैधानिक प्रावधानों का खंडन करते हैं?
14. क्या संविधान सर्वोच्च न्यायालय को अनुच्छेद 131 के अंतर्गत मुकदमे के अलावा किसी अन्य माध्यम से संघ और राज्य सरकारों के बीच विवादों को सुलझाने की अनुमति देता है?

Related Posts

प्रवेश वर्मा का गंभीर आरोप: “सरकारी सुविधाओं में धर्म के आधार पर किया गया भेदभाव”

नई दिल्ली । 26 जून 2025, शब्दरंग समाचार: दिल्ली सरकार में वरिष्ठ मंत्री प्रवेश वर्मा ने पिछली केजरीवाल सरकार पर धार्मिक आधार पर भेदभाव करने का आरोप लगाया है। उनका…

हैदराबाद में महिला की अजीब हरकत, रेलवे ट्रैक पर चलाई कार

हैदराबाद । 26 जून 2025, शब्दरंग समाचार: तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में गुरुवार सुबह एक महिला ने ऐसा कदम उठाया जिसने सभी को चौंका दिया। शंकरपल्ली इलाके में महिला ने…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *