
नई दिल्ली। शब्दरंग समाचार: केंद्र की मोदी सरकार ने एक बार फिर कांग्रेस सांसद शशि थरूर को एक अहम भूमिका देने की तैयारी कर ली है। विदेश मामलों पर संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष और तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर को अब सरकार बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व सौंपने जा रही है, जो आतंकवाद के मुद्दे पर वैश्विक मंचों पर पाकिस्तान की सच्चाई उजागर करेगा।
सरकार ने थरूर से किया संपर्क
न्यूज-18 के सूत्रों के मुताबिक, विदेश मंत्रालय इस प्रतिनिधिमंडल की योजना को अंतिम रूप दे रहा है और थरूर से नेतृत्व को लेकर सीधा संपर्क भी किया जा चुका है। थरूर खुद भी इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने के इच्छुक हैं, विशेष रूप से अमेरिका यात्रा के लिए। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि इसके लिए केंद्र सरकार को पहले कांग्रेस पार्टी से सलाह लेनी होगी।
कांग्रेस में थरूर पर असहमति के सुर
थरूर हाल के दिनों में पार्टी लाइन से इतर दिए गए बयानों को लेकर कांग्रेस के निशाने पर रहे हैं। पार्टी की हालिया बैठक में यह संकेत मिला था कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान मुद्दे पर ‘लक्ष्मण रेखा’ लांघी है। बावजूद इसके, केंद्र सरकार की ओर से उन पर विश्वास जताना राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है।
पाकिस्तान को बेनकाब करने की योजना
सरकार की योजना के अनुसार, विभिन्न बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल मई के अंत में विभिन्न देशों की यात्रा करेंगे। इस दौरान आतंकवाद के खिलाफ भारत की भूमिका और पाकिस्तान की भूमिका को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उजागर किया जाएगा। प्रत्येक प्रतिनिधिमंडल में 5-6 सांसदों के साथ विदेश मंत्रालय का एक अधिकारी और एक सरकारी प्रतिनिधि भी शामिल रहेगा।
प्रतिनिधिमंडल में कौन-कौन होंगे शामिल?
प्रतिनिधिमंडल 22 मई के आसपास रवाना हो सकता है और जून के पहले सप्ताह तक लौट आएगा। इसमें विभिन्न दलों के सांसदों को शामिल किया जा रहा है। संभावित नामों में कांग्रेस के मनीष तिवारी, शिवसेना यूबीटी की प्रियंका चतुर्वेदी, बीजेपी के समिक भट्टाचार्य, बीजेडी के सस्मित पात्रा, शिवसेना के श्रीकांत शिंदे, एनसीपी-शरद पवार गुट की सुप्रिया सुले जैसे नेता शामिल हैं।
विदेश मंत्रालय कर रहा समन्वय
यात्रा का पूरा समन्वय विदेश मंत्रालय करेगा। सांसदों को यह निर्देश भी दिए जा चुके हैं कि वे अपने पासपोर्ट और अन्य जरूरी दस्तावेजों को समय रहते तैयार रखें।
यह कदम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की आतंकवाद के खिलाफ नीति को और मजबूत बनाने की दिशा में एक अहम रणनीतिक प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। शशि थरूर की इस भूमिका को लेकर आगे कांग्रेस का रुख क्या होगा, इस पर भी सबकी निगाहें टिकी हैं।