
नई दिल्ली।23 मई 2025, शब्दरंग समाचार:
सुप्रीम कोर्ट ने 23 मई 2025 को एक ऐतिहासिक निर्णय सुनाते हुए CAPF (केंद्रीय अर्धसैनिक बलों) के कैडर अधिकारियों को ‘संगठित समूह A सेवा’ (OGAS) के अंतर्गत आने वाले सभी लाभ प्रदान करने का आदेश दिया है। अदालत ने स्पष्ट कहा कि OGAS अब केवल NFFU (गैर-कार्यात्मक वित्तीय उन्नयन) तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि हर स्तर पर लागू होगा।
कैडर रिव्यू को लेकर सख्ती: 6 महीने में पूरा करने का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि चार साल से लंबित कैडर रिव्यू प्रक्रिया को 6 महीनों में पूरा किया जाए। यह निर्णय केंद्रीय बलों में वर्षों से चली आ रही पदोन्नति की असमानता और IPS अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति से उत्पन्न असंतोष को दूर करने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है।
36 साल बनाम 20 साल: ग्रेड प्रोमोशन में भारी अंतर
CAPF के अधिकारियों ने कोर्ट में बताया कि जहां अन्य केंद्र सरकार की ‘समूह A सेवाओं’ में 19-20 वर्षों में SAG (सीनियर एडमिनिस्ट्रेटिव ग्रेड) मिल जाता है, वहीं CAPF में यह ग्रेड लगभग 36 वर्षों में प्राप्त हो रहा है। यह भेदभाव अफसरों के करियर ग्रोथ और आर्थिक फायदों में भारी असंतुलन पैदा कर रहा है।
प्रतिनियुक्ति पर आपत्ति: IPS बनाम CAPF बहस
CAPF के पूर्व अधिकारियों और वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में यह भी मांग की कि बलों में IPS की प्रतिनियुक्ति बंद की जाए। उन्होंने तर्क दिया कि इससे कैडर अधिकारियों को लीडरशिप अवसर नहीं मिल पाते, और वे पदोन्नति में लगातार पिछड़ते रहते हैं। अदालत ने भी अपने रिमार्क में कहा कि “प्रतिनियुक्ति को धीरे-धीरे खत्म किया जाए और SAG स्तर पर तो पूरी तरह बंद हो।”
प्रोमोशन में देरी और असंतोष
* बीएसएफ और सीआरपीएफ जैसे बलों में अफसरों को पहली पदोन्नति 15 साल बाद मिल रही है।
* डिप्टी कमांडेंट बनने में 22 साल और कमांडेंट बनने में 27 साल लग रहे हैं।
* आर्थिक लाभ भी अन्य सेवाओं की तुलना में काफी कम हैं।
यह स्थिति अधिकारियों को बल छोड़ने के लिए मजबूर कर रही है।
DOPT नियमों की अनदेखी: OGAS के बावजूद सेवा नियम अधूरे
2008-09 में DOPT ने CAPF के लिए OGAS के तहत सेवा नियम बनाने का आदेश दिया था, लेकिन आज तक इसे पूरी तरह लागू नहीं किया गया। अदालत में यह भी कहा गया कि बलों के पास अभी तक पूरे सर्विस रूल्स तक नहीं हैं।
पूर्व अफसरों की आपत्ति: मनोबल गिराने वाली टिप्पणियां
पूर्व अधिकारियों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में ASG द्वारा CAPF अधिकारियों को अक्षम बताया गया, जो न केवल अपमानजनक है, बल्कि इन बलों के द्वारा दिए गए बलिदानों का भी अपमान है। उन्होंने गृह मंत्रालय से मांग की है कि ऐसी भ्रामक टिप्पणियों का संज्ञान लिया जाए।
इतिहास और बलिदान: CAPF की भूमिका कभी नहीं भूलनी चाहिए
CAPF अधिकारी कंपनी कमांडर से लेकर DG स्तर तक अपनी सेवा के दौरान व्यावसायिकता, अनुशासन और वीरता का परिचय देते रहे हैं। हजारों अधिकारियों और जवानों ने देश की सुरक्षा में अपने प्राणों की आहुति दी है।
CAPF को मिला सम्मान का अधिकार
अब समय है कि CAPF अधिकारियों को उचित सम्मान, समान अवसर और भेदभाव रहित वातावरण प्रदान किया जाए। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला इन अफसरों की वर्षों की कानूनी लड़ाई की जीत है, जो अब उनके भविष्य को नई दिशा देगा।