
प्रयागराज।26 मई 2025, शब्दरंग समाचार:
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा परिषद से संबद्ध प्राथमिक विद्यालयों में रामायण और वेद पर आधारित कार्यशालाओं के आयोजन की इजाजत दे दी है। कोर्ट ने इसे भारतीय संस्कृति और बच्चों के नैतिक विकास का हिस्सा बताया।
याचिका पर क्या कहा हाईकोर्ट ने?
देवरिया निवासी डॉ. चतुरानन ओझा द्वारा दायर जनहित याचिका को कोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि:
याचिका दुर्भावनापूर्ण प्रतीत होती है।
याची अपनी विधिक हैसियत साबित नहीं कर सका।
रामायण और वैदिक शोध संस्थान, अयोध्या द्वारा जारी आदेश उसके पास कैसे पहुंचा, यह स्पष्ट नहीं किया गया।
सरकार की योजना: बच्चों में संस्कृति और मूल्यों का विकास
5 मई 2025 को अंतरराष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान, अयोध्या ने सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों (BSA) को पत्र जारी कर 75 जिलों में 5-10 दिन की कार्यशालाएं आयोजित करने के निर्देश दिए थे। कार्यशालाओं में निम्नलिखित गतिविधियां शामिल होंगी:
रामलीला प्रदर्शन
वेदगान सत्र
क्ले मॉडलिंग
मुख सज्जा
सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता
सरकारी अधिवक्ता की दलील
सरकारी अधिवक्ता राजीव कुमार सिंह ने कोर्ट में बताया कि:
यह कार्यक्रम बच्चों में भारतीय संस्कृति, लोककला और अध्यात्म के प्रति रुचि बढ़ाने के लिए है।
भागीदारी बाध्यकारी नहीं है, केवल अभिभावकों की सहमति पर आधारित है।
याची की आपत्ति: वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर हमला?
याची ने तर्क दिया कि:
यह कार्यशाला वैज्ञानिक सोच के खिलाफ है (अनुच्छेद 51A(H) का हवाला)।
यह जातिगत और लैंगिक भेदभाव को बढ़ावा दे सकती है।
भारतीय संविधान में धर्मनिरपेक्षता की गारंटी है, इस तरह के धार्मिक कार्यकलाप स्कूलों में नहीं होने चाहिए।
कोर्ट का निष्कर्ष
याची की कानूनी योग्यता संदिग्ध पाई गई।
याचिका प्रशासनिक कार्यों में बाधा डालने का प्रयास मानी गई।
कोर्ट ने कहा, बच्चों में नैतिक व सांस्कृतिक शिक्षा देना गलत नहीं है।