
लखनऊ। 28 मई 2025, शब्दरंग समाचार:
लखनऊ स्थित ऐशबाग ईदगाह में बुधवार को मरकजी चांद कमेटी ने चांद देखने के बाद घोषणा की कि भारत में बकरीद (ईद-उल-अजहा) 7 जून 2025 को मनाई जाएगी। मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने यह जानकारी दी।
क्या है बकरीद का त्योहार? जानिए इसका धार्मिक महत्व
बकरीद, जिसे ईद-उल-अजहा भी कहा जाता है, इस्लाम धर्म का एक प्रमुख त्योहार है। यह पर्व हज़रत इब्राहीम की अल्लाह के प्रति आस्था और बलिदान की याद में मनाया जाता है।
इस्लामिक कैलेंडर के जुल-हिज्जा महीने की 10वीं तारीख को यह त्योहार आता है।
यह त्योहार हज यात्रा के समापन का प्रतीक भी होता है।
इस दिन पवित्र कुर्बानी दी जाती है, जिसे समाज के ज़रूरतमंद लोगों में बांटा जाता है।
बकरीद की तारीख कैसे तय होती है?
इस्लामी त्योहारों की तारीखें चांद देखकर तय की जाती हैं।
ईद-उल-अजहा का चांद जुल-हिज्जा के महीने का आरंभ दर्शाता है।
चांद दिखने के बाद दसवें दिन बकरीद मनाई जाती है।
2025 में यह चांद बुधवार को देखा गया, जिसके आधार पर 7 जून को बकरीद घोषित की गई है।
हज यात्रा और बकरीद का संबंध
हज, इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है, जो हर सक्षम मुसलमान पर जीवन में एक बार फर्ज़ है।
हज यात्रा के अंतिम दिनों में ही बकरीद आता है।
मक्का और मदीना में हज के दौरान दुनिया भर के मुसलमान बकरीद मनाते हैं।
बकरीद का सामाजिक संदेश
बकरीद केवल धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि सामाजिक समर्पण और मानवता की सेवा का संदेश भी देता है:
कुर्बानी का मांस तीन हिस्सों में बांटा जाता है — गरीबों, रिश्तेदारों और अपने लिए
यह साझा करने, दया, और ईश्वर के प्रति समर्पण का प्रतीक है