
नई दिल्ली। 11जून 2025, शब्दरंग समाचार:
भारत अपनी निगरानी और खुफिया क्षमताओं (Surveillance & ISR) को सशक्त करने की दिशा में काम कर रहा है। लेकिन साथ ही, चीफ ऑफ इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ (CISC) एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित ने आगाह किया है कि हमें चीन जैसे तेजी से उभरते खतरों को भी गंभीरता से समझना होगा।
चीन की अंतरिक्ष प्रगति: बड़ी चुनौती
एयर मार्शल दीक्षित ने बताया कि:
- 2010 में चीन के पास केवल 36 सैन्य उपग्रह थे।
- 2024 तक यह संख्या बढ़कर 1,000+ हो चुकी है।
- इनमें से 360 उपग्रह ISR मिशनों (Intelligence, Surveillance, Reconnaissance) के लिए सक्रिय हैं।
चीन ने ‘किल चेन’ से ‘किल मेश’ तक का विकास किया है — यानी ऐसा इंटीग्रेटेड नेटवर्क जो ISR उपग्रहों को हथियार प्रणालियों से रियल-टाइम में जोड़ता है।
भारत की रणनीति: निगरानी प्रणाली का विस्तार
एयर मार्शल दीक्षित के अनुसार भारत भी:
- निगरानी और इलेक्ट्रो-ऑप्टिक्स में तेजी से निवेश कर रहा है।
- नई तकनीकें जैसे IAACS (Integrated Air Command and Control System) विकसित कर रहा है।
- इस प्रणाली को आकाशतीर से जोड़ा गया है ताकि संयुक्त हवाई रक्षा संभव हो। ऑपरेशन ‘सिंदूर’ की सफलता: भारतीय रणनीति की ताकत
एयर मार्शल दीक्षित ने ऑपरेशन सिंदूर का उल्लेख करते हुए कहा कि:
- यह भारत की रणनीतिक सफलता का प्रतीक है।
- इसमें भारतीय सेना, वायुसेना और सुरक्षा बलों का समन्वित संचालन देखने को मिला।
- IAACS सिस्टम ने इसमें रियल टाइम कनेक्टिविटी और फैसले की क्षमता प्रदान की।
सेमिनार की प्रमुख बातें
यह विचार थिंक टैंक CAPS (Centre for Air Power Studies) और इंडियन मिलिट्री रिव्यू द्वारा आयोजित सेमिनार में सामने आए। सेमिनार का विषय था — ‘Surveillance and Electro-Optics’। इसमें देश की सुरक्षा में उभरती तकनीकों और चुनौतियों पर चर्चा की गई।