
तेहरान/यरुशलम/वॉशिंगटन, शब्दरंग समाचार:अमेरिका द्वारा ईरान के प्रमुख परमाणु ठिकानों पर की गई बमबारी ने मध्य पूर्व में पहले से सुलगते हालातों को और विस्फोटक बना दिया है। रविवार सुबह इसराइली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने इस कार्रवाई को “इतिहास बदलने वाला साहसिक फ़ैसला” बताया और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की खुलकर तारीफ़ की।नेतन्याहू ने हिब्रू नहीं, बल्कि अंग्रेज़ी में संबोधन देकर यह स्पष्ट संकेत दिया कि यह संघर्ष अब एक अंतरराष्ट्रीय मोड़ ले चुका है। उन्होंने कहा कि ईरान का परमाणु खतरा अब नियंत्रित किया जा चुका है, और यह अमेरिका की निर्णायक भूमिका के बिना संभव नहीं था।
क्या रुक जाएगा इसराइल-ईरान संघर्ष?
ईरान ने अमेरिका के हमलों को “घोर उकसावे” की कार्रवाई बताते हुए इसका मुंहतोड़ जवाब देने की चेतावनी दी है। ईरानी सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह अली ख़ामेनेई ने कहा है कि “अमेरिका को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।”ईरान ने दावा किया है कि हमलों से पहले ही उसने संवेदनशील परमाणु सामग्री सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दी थी, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या अमेरिका और इसराइल का मुख्य उद्देश्य वास्तव में पूरा हुआ है या नहीं।
ईरान की संभावित प्रतिक्रियाएं:
1. हाईब्रिड वॉर: ईरान सीधे हमले के बजाय अपने प्रॉक्सी गुटों — जैसे यमन के हूती विद्रोहियों, इराकी मिलिशिया और लेबनान के हिज़्बुल्लाह — के माध्यम से जवाबी कार्रवाई कर सकता है।
2. तेल आपूर्ति बाधित: खाड़ी क्षेत्र में अमेरिका के युद्धपोतों और तेल टैंकरों को निशाना बनाया जा सकता है। इससे वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति संकट खड़ा हो सकता है।
3. साइबर हमले: ईरान पहले भी अमेरिका और इसराइल पर साइबर हमले कर चुका है। नई साइबर जंग छेड़ी जा सकती है।
4. अमेरिकी ठिकानों पर हमला: पश्चिम एशिया में फैले अमेरिकी सैनिक ठिकानों को निशाना बनाना सबसे संभावित प्रतिक्रिया हो सकती है।
ट्रंप का स्पष्ट संदेश: “पूरी ताकत से पलटवार होगा”डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि अगर ईरान या उसके सहयोगी किसी अमेरिकी को नुकसान पहुंचाते हैं तो अमेरिका “पूरी ताकत से पलटवार” करेगा। उन्होंने बी-2 बॉम्बर्स की कार्रवाई को “रणनीतिक संदेश” बताया और कहा कि यह ईरान के आगे की किसी भी आक्रामकता के लिए चेतावनी है।
अब क्या?
यह तय है कि संघर्ष अब निर्णायक मोड़ पर आ गया है। इसराइल और अमेरिका की संयुक्त कार्रवाई ने ईरान को रणनीतिक रूप से झटका तो दिया है, लेकिन इससे शांति नहीं, बल्कि प्रतिशोध की संभावना अधिक बढ़ गई है।मध्य पूर्व आने वाले दिनों में एक नए युद्ध के कगार पर खड़ा हो सकता है — जहां सिर्फ हथियार नहीं, रणनीति, धर्म, ऊर्जा और वैश्विक राजनीति की भी टक्कर होगी।