
नई दिल्ली । 04 जुलाई 2025, शब्दरंग समाचार :
भारतीय प्रतिनिधिमंडल वॉशिंगटन से लौटा, लेकिन वार्ता अब भी जारी
भारत और अमेरिका के बीच संभावित अंतरिम व्यापार समझौते (Trade Pact) पर चर्चा के बाद भारतीय वार्ताकारों का दल वॉशिंगटन से लौट आया है।
इस समझौते को 9 जुलाई 2025 से पहले अंतिम रूप देने की कोशिशें चल रही हैं, पर कृषि और वाहन सेक्टर को लेकर मतभेद बने हुए हैं।
भारतीय दल की अगुआई राजेश अग्रवाल, विशेष सचिव (वाणिज्य विभाग) कर रहे थे।
वाहन क्षेत्र में 25% शुल्क बना मुख्य विवाद
भारत ने अमेरिका द्वारा 25% शुल्क लगाए जाने का मुद्दा विश्व व्यापार संगठन (WTO) में उठाया है।
यह शुल्क 3 मई 2025 से लागू हो गया और इसका सीधा असर भारत में निर्मित यात्री वाहन और ऑटो पार्ट्स पर पड़ा है।
भारत का हिस्सा अमेरिका के ऑटो पार्ट आयात में महज 2.2 अरब डॉलर का है, जबकि मेक्सिको और चीन का हिस्सा काफी ज्यादा है।
कृषि क्षेत्र में भारत का सख्त रुख
अमेरिका, भारत से डेयरी उत्पादों, सेब, मेवे और GMO फसलों पर टैरिफ छूट चाहता है।
भारत ने इस पर स्पष्ट इंकार कर दिया है क्योंकि कृषि एक राजनीतिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र है।
अब तक भारत ने किसी भी FTA में डेयरी सेक्टर नहीं खोला है और इस मुद्दे पर रियायत देना मुश्किल है।
अमेरिका की मांग: औद्योगिक और इलेक्ट्रिक वाहनों पर शुल्क रियायतें
अमेरिका चाहता है कि भारत इलेक्ट्रिक वाहन, वाइन, पेट्रोकेमिकल्स जैसे उत्पादों पर टैरिफ में छूट दे।
हालांकि, भारत 26% अतिरिक्त जवाबी शुल्क से पूर्ण छूट की मांग कर रहा है, जिसे अमेरिका ने केवल 90 दिनों के लिए निलंबित किया है।
भारत की प्राथमिकताएं: श्रम-प्रधान उत्पादों के लिए रियायतें
भारत ने प्रस्तावित समझौते में निम्न क्षेत्रों में रियायतों की मांग की है:
- कपड़ा और परिधान
- रत्न और आभूषण
- चमड़े के उत्पाद
- केले, अंगूर, तिलहन और झींगा
इन उत्पादों से एक्सपोर्ट आधारित MSME सेक्टर को लाभ मिलने की संभावना है।
लक्ष्य: व्यापार को \$500 अरब तक पहुंचाना
वर्तमान में भारत-अमेरिका व्यापार करीब \$191 अरब है।
दोनों देश इसे 2030 तक \$500 अरब तक पहुंचाने के लिए बीटीए (Bilateral Trade Agreement) के पहले चरण को सितंबर-अक्टूबर 2025 तक पूरा करना चाहते हैं।