
नई दिल्ली । 08 जुलाई 2025, शब्दरंग समाचार :
बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision) की प्रक्रिया शुरू की गई है। इस पर विपक्षी दलों ने गंभीर आपत्तियां जताते हुए इसे “जन प्रतिनिधित्व में कटौती की साजिश” करार दिया है।
विपक्ष का आरोप: करोड़ों मतदाता होंगे वंचित
कांग्रेस, एनसीपी (शरद पवार गुट), शिवसेना (यूबीटी), समाजवादी पार्टी, जेएमएम, सीपीआई और सीपीआई (एमएल) समेत कई विपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। उनका दावा है कि इस पुनरीक्षण से करोड़ों वोटर अपने मताधिकार से वंचित हो सकते हैं, जो लोकतंत्र के मूल स्वरूप पर सीधा प्रहार है।
चुनाव आयोग का जवाब: यह प्रक्रिया पूरी तरह समावेशी और पारदर्शी
चुनाव आयोग ने इन आरोपों को पूरी तरह “बेबुनियाद और बेतुका” करार देते हुए कहा है कि यह प्रक्रिया हर वर्ग, हर आयु और हर नागरिक को शामिल करने के लिए डिज़ाइन की गई है। अधिकारियों ने यह भी स्पष्ट किया कि संशोधन का उद्देश्य किसी भी व्यक्ति को सूची से बाहर करना नहीं है, बल्कि उसे अद्यतन और त्रुटि-मुक्त बनाना है।
सुप्रीम कोर्ट की नजर: 10 जुलाई को सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर 10 जुलाई 2025 को सुनवाई करने पर सहमति जताई है। इस दौरान यह तय किया जाएगा कि चुनाव आयोग की यह प्रक्रिया संवैधानिक दायरे में है या नहीं।
संशोधन प्रक्रिया क्या है?
विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया के तहत:
- मृत, डुप्लिकेट और स्थानांतरित मतदाताओं को सूची से हटाया जाएगा।
- नए योग्य मतदाताओं को सूची में जोड़ा जाएगा।
- मतदाता की गलत जानकारी को सुधारा जाएगा।
इस प्रक्रिया में घर-घर जाकर सत्यापन, दस्तावेज़ी प्रमाण और तकनीकी उपकरणों का उपयोग शामिल है।