कैलाश मानसरोवर यात्रा 2025: शिप्रा पाठक ने बताया क्यों होती है यह यात्रा कठिन और दिव्य

नई दिल्ली । 14 जुलाई 2025, शब्दरंग समाचार :

छह साल के लंबे अंतराल के बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा 2025 एक बार फिर शुरू हो रही है। साल 2019 के बाद कोविड महामारी और भारत-चीन तनाव के चलते यह यात्रा बंद कर दी गई थी। अब जब यात्रा पुनः आरंभ हुई है, तो एक नई चुनौती ने फिर से यात्रियों के रास्ते को कठिन बना दिया है — नेपाल-चीन मैत्री पुल का बाढ़ में बह जाना।

यात्रा की नई तिथि और रूट में बदलाव

इस बार नेपाल के रास्ते से जाने वाली यात्रा 15 जुलाई को प्रस्तावित थी, लेकिन अब यह 23 जुलाई 2025 को शुरू होगी।

  • नेपाल रूट पर भारी बारिश और बाढ़ के कारण मैत्री पुल बह गया, जिससे यात्रा एक सप्ताह के लिए स्थगित करनी पड़ी।
  • इससे यात्रियों को टिकट कैंसिल कराने और नई व्यवस्था बनाने में लगभग ₹3 लाख का नुकसान हुआ।

वॉटर वुमन शिप्रा पाठक ने साझा किया आध्यात्मिक अनुभव

वॉटर वुमन के नाम से जानी जाने वाली शिप्रा पाठक, जो कैलाश यात्रा कर चुकी हैं, उन्होंने इस यात्रा को “शरीर, मन और आत्मा की परीक्षा” बताया।
उनके अनुसार:

  • बाल और नाखून तेजी से बढ़ते हैं,
  • चेहरे पर झुर्रियां जल्दी पड़ने लगती हैं,
  • और समय का अनुभव धीमा पड़ जाता है।

यह शरीर पर उच्च ऊंचाई और कम ऑक्सीजन का प्रभाव है, लेकिन इसके पीछे एक गहरा आध्यात्मिक आयाम भी है।

क्यों है कैलाश यात्रा इतनी दुर्गम?

कैलाश मानसरोवर यात्रा को कठिन क्यों माना जाता है, इसके कुछ प्रमुख कारण:

कारणविवरण
ऊंचाईयात्रा 15,000 फीट से अधिक ऊंचाई पर होती है
ऑक्सीजन की कमीसांस लेने में दिक्कत, चक्कर और थकावट
मौसमअचानक बारिश, बर्फबारी और तापमान में गिरावट
शारीरिक तैयारीट्रेकिंग के लिए शारीरिक रूप से फिट होना जरूरी
मानसिक दृढ़तायात्रा आध्यात्मिक के साथ-साथ मानसिक परीक्षा भी है

आवेदन प्रक्रिया: अंतिम तिथि 13 मई 2025

भारतीय विदेश मंत्रालय द्वारा निर्धारित ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया इस प्रकार है:

  • आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं
  • आवश्यक दस्तावेज़ जैसे पासपोर्ट, मेडिकल फिटनेस प्रमाण पत्र आदि अपलोड करें
  • अंतिम तिथि: 13 मई 2025

आध्यात्मिक महत्व

  • कैलाश पर्वत को भगवान शिव का निवास माना जाता है
  • मानसरोवर झील को मोक्ष प्राप्ति का मार्ग कहा जाता है
  • यात्रा करने से जीवन की कई समस्याओं से मुक्ति मिलती है, ऐसा श्रद्धालुओं का मानना है

37 सदस्यीय दल की तैयारियां

  • कोसीकलां (उत्तर प्रदेश) से 37 लोगों का दल इस यात्रा पर जा रहा है
  • एक सप्ताह की देरी के बाद सभी फिर से तैयारियों में जुट गए हैं
  • समूह में शामिल होने वाले अधिकतर लोग पूर्व में भी धार्मिक यात्राओं का हिस्सा रह चुके हैं

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