Ahmedabad विमान हादसा: AAIB की कड़ी प्रतिक्रिया, विदेशी मीडिया पर लगाया भ्रामक रिपोर्टिंग का आरोप

नई दिल्ली । 17 जुलाई 2025, शब्दरंग समाचार :

12 जून 2025 को एयर इंडिया की फ्लाइट AI171, जो अहमदाबाद से लंदन जा रही थी, टेकऑफ के कुछ ही सेकंड बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गई। हादसे में 260 लोगों की जान चली गई, जबकि केवल एक व्यक्ति जीवित बचा। मृतकों में 169 भारतीय, 53 ब्रिटिश, 7 पुर्तगाली और 1 कनाडाई नागरिक शामिल थे। हादसा अहमदाबाद एयरपोर्ट के निकट एक रिहायशी क्षेत्र में हुआ।

प्रारंभिक जांच रिपोर्ट: क्या कहती है AAIB?

एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में बताया कि:

  • दोनों इंजन टेकऑफ के तुरंत बाद बंद हो गए।
  • कारण: ईंधन की आपूर्ति अचानक रुक गई।
  • ब्लैक बॉक्स से यह भी पता चला कि कॉकपिट में एक पायलट ने दूसरे से पूछा, “तुमने फ्यूल स्विच क्यों बंद किया?”
  • दूसरे ने उत्तर दिया, “मैंने ऐसा नहीं किया।”

इससे यह संकेत मिलता है कि संभवतः स्विच अपने आप कटऑफ मोड में चला गया , जो तकनीकी खामी या मानवीय त्रुटि हो सकती है।

AAIB का विदेश मीडिया को जवाब: “निष्कर्ष से पहले आरोप लगाना गैर-जिम्मेदाराना”

द वॉल स्ट्रीट जर्नल जैसे अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों ने यह दावा किया कि पायलट ने जानबूझकर ईंधन बंद किया। इस पर AAIB ने कड़ी प्रतिक्रिया दी: “जांच पूरी होने से पहले किसी भी प्रकार का निष्कर्ष निकालना गैर-जिम्मेदाराना है। इससे जांच की निष्पक्षता को नुकसान पहुंच सकता है।”

AAIB ने स्पष्ट किया कि भारतीय विमान दुर्घटना जांच नियम, 2017 के तहत निष्पक्ष और तकनीकी जांच चल रही है।

जांच टीम में कौन-कौन शामिल?

इस संवेदनशील जांच का नेतृत्व कर रहे हैं:

  • संजय कुमार सिंह (AAIB निदेशक)
  • जसबीर सिंह लर्घा (मुख्य जांचकर्ता)
  • डीजीसीए के वरिष्ठ अधिकारी: विपिन वेणु वरकोथ, वीरराघवन के., वैष्णव विजयकुमार

AAIB का रिकॉर्ड और जिम्मेदारी

AAIB ने बताया कि उन्होंने 2012 में स्थापना के बाद से 92 दुर्घटनाओं और 111 गंभीर घटनाओं की निष्पक्ष जांच की है। वर्तमान में बी787-8 VT-ANB की दुर्घटना के साथ अन्य हादसों की भी जांच जारी है।

संवैधानिक और अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य

भारत की जांच एजेंसियां ICAO (International Civil Aviation Organization) के मानकों के अनुसार काम करती हैं। ऐसे में विदेशी मीडिया द्वारा दोषारोपण करना न केवल जांच की निष्पक्षता को प्रभावित करता है, बल्कि पीड़ित परिवारों की संवेदनाओं से भी खिलवाड़ है।

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