करिश्मा कपूर

मुम्बई ( Shabddrang Samachar): बॉलीवुड की एक ग्लैमरस अदाकारा, जिन्होंने 90 के दशक में अपने अभिनय, ग्लैमर और शानदार नृत्य से दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाई। उनके करियर की बुलंदी और फिर इंडस्ट्री से उनका ब्रेक, दोनों ही एक अनोखी कहानी बयां करते हैं। करिश्मा की इस यात्रा को और करीब से समझें।

1. पारिवारिक परम्पराओं को पीछे छोड़ा– पारिवारिक परंपराओं को पीछे छोड़ते हुएबॉलीवुड के प्रतिष्ठित कपूर परिवार से आने के बावजूद करिश्मा के लिए फिल्मी दुनिया की राह आसान नहीं थी। परिवार की परंपराओं को पीछे छोड़ते हुए, मात्र 17 साल की उम्र में उन्होंने ‘प्रेम कैदी’ (1991) से अपने करियर की शुरुआत की। भले ही उन्हें एक “स्टार किड” के रूप में देखा जाता था, लेकिन करिश्मा ने अपनी मेहनत से खुद को साबित किया। शुरूआती दौर में आलोचना और संघर्ष का सामना करने के बाद, उन्होंने खुद को एक सशक्त अदाकारा के रूप में स्थापित किया।

2. करियर का स्वर्णिम दौर – 90 के दशक में करिश्मा का करियर आसमान छूने लगा। ‘राजा बाबू,’ ‘कुली नं. 1,’ ‘दिल तो पागल है’ जैसी फिल्मों में उन्होंने अपनी अभिनय क्षमता और आकर्षक अंदाज से दर्शकों का दिल जीत लिया। ‘दिल तो पागल है’ में उनकी अदाकारी के लिए उन्हें नेशनल फिल्म अवार्ड भी मिला। हर फिल्म के साथ उन्होंने साबित किया कि उनकी सफलता केवल स्टारडम पर नहीं, बल्कि उनकी मेहनत और अद्भुत प्रतिभा पर आधारित थी।

3. परिवार के लिए इंडस्ट्री से ब्रेक

2003 में करिश्मा ने बिजनेसमैन संजय कपूर से विवाह किया और पारिवारिक जीवन को प्राथमिकता देते हुए इंडस्ट्री से ब्रेक ले लिया। शादी के बाद उन्होंने अपने बच्चों और परिवार पर ध्यान देने के लिए फिल्मों से दूरी बना ली। इस दौरान वे अपने परिवार के साथ समय बिताने में पूरी तरह से समर्पित रहीं।

4. तलाक और फिल्मों में वापसी की कोशिश

करिश्मा की शादी कुछ समय बाद तनावपूर्ण हो गई, और 2014 में उनका तलाक हो गया। इसके बाद, उन्होंने फिल्मों में वापसी का मन बनाया। 2012 में ‘डेंजरस इश्क’ से उन्होंने वापसी की कोशिश की, लेकिन फिल्म को खास सफलता नहीं मिली। उनके अभिनय की तारीफ हुई, लेकिन यह साफ था कि करिश्मा के लिए वापसी आसान नहीं थी।

5. बॉलीवुड में बदलाव और नई पीढ़ी का दौर

करिश्मा के करियर के दौरान ही बॉलीवुड में बड़े बदलाव आ चुके थे। नई कहानियों, नई तकनीकों, और नए चेहरों के साथ दर्शकों की पसंद भी बदलने लगी थी। इस बदलते दौर में 90 के दशक के कलाकारों के लिए अपनी पहचान बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो गया।

6. सीमित भूमिकाएँ और निजी जीवन का संतुलन

आज करिश्मा अपनी जिंदगी को संतुलित तरीके से जी रही हैं। वे सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं और विभिन्न इवेंट्स में नजर आती हैं। फिल्मों से दूरी बनाए रखने के बावजूद, जब भी उन्हें कुछ दिलचस्प ऑफर मिलता है, वे उसमें जुड़ने की इच्छा जाहिर करती हैं।करिश्मा की कहानी केवल सफलता की नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी यात्रा है जिसमें परिवार, व्यक्तिगत निर्णय और बदलते वक्त के साथ संतुलन बनाने का संघर्ष शामिल है।

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