
वॉशिंगटन, 30 अगस्त 2025। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को अदालत से बड़ा झटका लगा है। यूएस कोर्ट ऑफ अपील्स फॉर द फेडरल सर्किट ने ट्रंप द्वारा लगाए गए ज्यादातर टैरिफ को गैरकानूनी करार दिया है। अदालत ने कहा कि ट्रंप ने इमरजेंसी पावर का गलत इस्तेमाल किया और उन्हें दुनिया के हर देश पर मनचाहे टैरिफ लगाने का अधिकार नहीं है।
हालांकि अदालत ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था को ध्यान में रखते हुए टैरिफ पर तुरंत रोक नहीं लगाई और ट्रंप प्रशासन को अक्टूबर तक का समय दिया है ताकि वह इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सके।
कोर्ट का बड़ा बयान
जजों ने 7-4 के फैसले में कहा,
कोर्ट ने माना कि ट्रंप ने इंटरनेशनल इमरजेंसी इकनॉमिक पॉवर्स एक्ट (IEEPA) के तहत राष्ट्रीय आपातकाल का हवाला देकर टैरिफ को सही ठहराने की कोशिश की, लेकिन इसका दुरुपयोग हुआ है।
ट्रंप की तीखी प्रतिक्रिया
फैसले पर नाराज ट्रंप ने कहा,
“अगर इस फैसले को लागू होने दिया गया, तो यह सचमुच संयुक्त राज्य अमेरिका को बर्बाद कर देगा।”
व्हाइट हाउस प्रवक्ता कुश देसाई ने बयान जारी कर कहा,
“राष्ट्रपति ने कानून के मुताबिक ही काम किया है। हम इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे और हमें पूरा भरोसा है कि अंत में हमारी जीत होगी।”
पृष्ठभूमि: क्यों लगा था टैरिफ?
ट्रंप ने पिछले साल इंटरनेशनल इमरजेंसी इकनॉमिक पॉवर्स एक्ट के तहत टैरिफ लगाते हुए कहा था कि यह अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा और अर्थव्यवस्था की रक्षा के लिए जरूरी है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि राष्ट्रपति को टैरिफ लगाने का इतना बड़ा अधिकार नहीं दिया जा सकता, क्योंकि अमेरिकी संविधान के मुताबिक यह शक्ति कांग्रेस के पास है।
कानूनी विशेषज्ञों की राय
कानूनी जानकारों का मानना है कि यह फैसला अमेरिकी व्यापार को नुकसान से बचाने वाला कदम है। अगर सुप्रीम कोर्ट में भी यही फैसला कायम रहता है, तो यह ट्रंप प्रशासन के लिए एक बड़ी चेतावनी होगी कि राष्ट्रपति अपनी मर्जी से वैश्विक व्यापार नीतियां तय नहीं कर सकते।
ट्रंप का तर्क
सरकार ने अदालत में दलील दी थी कि अगर टैरिफ रद्द होते हैं तो सरकार को अरबों डॉलर के आयात कर वापस करने पड़ सकते हैं, जिससे अमेरिकी ट्रेजरी को भारी नुकसान होगा।
अब सभी की निगाहें अक्टूबर में होने वाली सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर हैं, जो तय करेगी कि ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी बचेगी या पूरी तरह खत्म हो जाएगी।