
शब्दरंग समाचार, काबुल/न्यूयॉर्क: अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से लगभग पाँच लाख अमेरिकी हथियार ग़ायब हो गए हैं। बीबीसी के सूत्रों ने बताया कि इन हथियारों को या तो बेच दिया गया है या फिर तस्करी के ज़रिए देश से बाहर भेजा गया है। संयुक्त राष्ट्र को आशंका है कि इन हथियारों में से कई अल-क़ायदा और उससे जुड़े संगठनों के हाथों में पहुँच चुके हैं।
तालिबान के हाथ लगा था बड़ा जखीरा
2021 में तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद, उन्हें अफ़ग़ान सेना द्वारा छोड़ा गया लगभग दस लाख हथियार और सैन्य उपकरणों का ज़खीरा मिला था। इनमें अमेरिका निर्मित एम4, एम16 राइफलें और अन्य भारी हथियार शामिल थे। तालिबान के तेज़ी से आगे बढ़ने के दौरान अफ़ग़ान सैनिकों ने भारी मात्रा में हथियार छोड़ दिए या आत्मसमर्पण कर दिया।
गायब हुए हथियार, तालिबान का इनकार
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध समिति की 2023 में दोहा में हुई बैठक में तालिबान ने स्वीकार किया कि आधे से अधिक सैन्य उपकरणों का कोई रिकॉर्ड नहीं है। हालांकि, तालिबान के उप प्रवक्ता हमीदुल्ला फ़ितरत ने इस दावे को ख़ारिज करते हुए कहा कि “सभी हथियार पूरी सुरक्षा में हैं।”
व्हाट्सएप पर हो रही है हथियारों की बिक्री
यूएन की रिपोर्ट बताती है कि तालिबान के स्थानीय कमांडरों को जब्त हथियारों का 20 प्रतिशत हिस्सा दे दिया गया। ये कमांडर अपने इलाक़ों में स्वतंत्र रूप से काम कर रहे हैं और यही हथियारों की कालाबाज़ारी का स्रोत बने हैं। पहले जहाँ खुले बाज़ार में हथियार बिकते थे, अब यह व्यापार व्हाट्सएप जैसे माध्यमों पर हो रहा है।
आतंकवादी संगठनों की पहुँच
संयुक्त राष्ट्र की फरवरी 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान, इस्लामिक मूवमेंट ऑफ़ उज़्बेकिस्तान, ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट और यमन के अंसारुल्लाह जैसे संगठन ब्लैक मार्केट से ये हथियार ख़रीद रहे हैं।
अमेरिका में बना राजनीतिक मुद्दा
पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आरोप लगाया कि अमेरिका ने अफ़ग़ानिस्तान में 85 अरब डॉलर के हथियार छोड़ दिए, और यह मुद्दा अमेरिका में एक गंभीर राजनीतिक बहस का कारण बन गया है। हालांकि उनके आंकड़े विवादित हैं क्योंकि इसमें प्रशिक्षण और वेतन की लागत भी शामिल है।
तालिबान की ‘विजय’ का प्रतीक बने अमेरिकी हथियार
तालिबान अमेरिकी हथियारों की प्रदर्शनी आयोजित कर अपने नियंत्रण को वैध ठहराने की कोशिश कर रहा है। बगराम एयरफ़ील्ड जैसी जगहों पर इन्हें ‘विजय के प्रतीक’ के रूप में पेश किया जा रहा है। वहीं ब्लैक हॉक हेलीकॉप्टर जैसे उपकरणों के संचालन के लिए आवश्यक प्रशिक्षण तालिबान के पास नहीं है, लेकिन वे हम्वीज़ और छोटे हथियारों का उपयोग कर अपने अभियान चला रहे हैं।
इस घटना ने न सिर्फ़ क्षेत्रीय सुरक्षा को संकट में डाला है, बल्कि वैश्विक स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ़ लड़ाई को भी एक नई चुनौती दी है।