
नई दिल्ली, शब्दरंग समाचार: अमेरिका द्वारा भारत समेत कई देशों पर रिसिप्रोकल टैरिफ लागू करने के बाद वैश्विक शेयर बाजारों में भारी अस्थिरता देखी जा रही है। इसका सीधा प्रभाव भारतीय शेयर बाजार पर भी पड़ा है। अप्रैल 2025 के पहले 11 दिनों में ही फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स (FPI) ने भारतीय शेयर बाजार से 31,575 करोड़ रुपये की पूंजी निकासी की है।
2025 में अब तक 1.48 लाख करोड़ की निकासी
मार्च 2025 में अंतिम छह कारोबारी सत्रों में FPI ने लगभग 30,927 करोड़ रुपये का निवेश किया था, जिससे उस महीने का शुद्ध आउटफ्लो घटकर 3,973 करोड़ रुपये रहा। हालांकि, फरवरी में 34,574 करोड़ और जनवरी में 78,027 करोड़ रुपये की निकासी दर्ज की गई थी। इस साल की शुरुआत से अब तक विदेशी निवेशकों ने कुल 1.48 लाख करोड़ रुपये बाजार से बाहर निकाले हैं।
विशेषज्ञों की राय: अनिश्चितता बनी रहेगी
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटजिस्ट वी.के. विजयकुमार ने बताया कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ‘रिसिप्रोकल टैरिफ’ नीति से वैश्विक बाजारों में उथल-पुथल है। उन्होंने कहा, “जब तक वैश्विक स्थिरता नहीं लौटती, FPI की रणनीतियों में उतार-चढ़ाव बना रहेगा।”
हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि मिड टर्म में विदेशी निवेशक भारत की ओर वापसी कर सकते हैं, क्योंकि अमेरिका और चीन की अर्थव्यवस्थाएं ट्रेड वॉर के प्रभाव में मंदी की ओर हैं। भारत इस दौरान भी 2025-26 में लगभग 6% की ग्रोथ दिखा सकता है।
लंबी अवधि में भारत की स्थिति मजबूत
Ventura सिक्योरिटीज के रिसर्च हेड विनीत बोलिंजकर ने भी इस सेलऑफ के पीछे अमेरिकी टैरिफ नीति और भू-राजनीतिक जोखिमों को मुख्य वजह बताया। हालांकि, उन्होंने भारत की मजबूत घरेलू अर्थव्यवस्था और बढ़ती डोमेस्टिक डिमांड को लंबे समय के लिए सकारात्मक संकेत माना।
इक्विटी ही नहीं, डेब्ट से भी निकासी
विदेशी निवेशकों की बिकवाली केवल शेयरों तक सीमित नहीं रही। डेब्ट जनरल लिमिट से उन्होंने 4,077 करोड़ और वॉलेंटरी रिटेंशन रूट (VRR) से 6,633 करोड़ रुपये की निकासी की है।
भारत फिलहाल वैश्विक नीतिगत उथल-पुथल से प्रभावित जरूर है, लेकिन उसकी घरेलू आर्थिक नींव और संभावित ग्रोथ विदेशी निवेशकों को भविष्य में दोबारा आकर्षित कर सकती है।