
भुवनेश्वर संवाददाता:केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने तीन नए आपराधिक कानूनों के माध्यम से भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली को दंड-केंद्रित से न्याय-केंद्रित बनाने की पहल की सराहना की। उन्होंने कहा कि इन कानूनों की मूल भावना भारतीय परंपराओं से प्रेरित है और यह देश के न्यायिक ढांचे को मजबूत करेंगे।मंत्री ने जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर राज्यों और वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा स्थिति में हुए सुधारों पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने यह भी कहा कि इन सुधारों से देश के विभिन्न हिस्सों में शांति और स्थिरता कायम हुई है।
पुलिस नेतृत्व का सम्मेलन
हाइब्रिड मोड में आयोजित इस सम्मेलन में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के पुलिस प्रमुखों के साथ केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और पुलिस संगठनों के प्रमुख भी शामिल हुए। कई अधिकारी वर्चुअल माध्यम से भी इसमें भाग ले रहे हैं। सम्मेलन में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, गृह राज्यमंत्री, और केंद्रीय गृह सचिव ने भी चर्चाओं में हिस्सा लिया।
राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों से निपटने की रणनीति
अगले दो दिनों में पुलिस नेतृत्व वामपंथी उग्रवाद, तटीय सुरक्षा, नारकोटिक्स, साइबर अपराध और आर्थिक सुरक्षा जैसे प्रमुख मुद्दों पर चर्चा कर एक रणनीतिक खाका तैयार करेगा। इसके अलावा, तीन नए आपराधिक कानूनों के क्रियान्वयन की प्रगति और पुलिसिंग से जुड़ी श्रेष्ठ पद्धतियों की समीक्षा भी की जाएगी।
भारत के विकास लक्ष्य में सुरक्षा संस्थानों की भूमिका
गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने और 2027 तक इसे दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य को हासिल करने में सुरक्षा संस्थानों की भूमिका महत्वपूर्ण है। उन्होंने “शून्य सहनशीलता नीति” को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए रणनीतिक और क्रियात्मक कदम उठाने का आह्वान किया।
गृहमंत्री मंत्री ने इस सम्मेलन को भारत की सुरक्षा और विकास यात्रा के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर बताते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा और न्याय प्रणाली को और अधिक प्रभावी बनाने की दिशा में काम करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।