
नई दिल्ली। 15 जुलाई 2025, शब्दरंग समाचार :
भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ल ने Axiom-4 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की यात्रा कर पहले भारतीय बनने का गौरव प्राप्त किया है। इस मिशन ने भारत को वैश्विक अंतरिक्ष मंच पर नई पहचान दी है।
मिशन की शुरुआत और लॉन्च
इस मिशन की योजना 2024 के अंत में बनाई गई थी। यह एक साझा वाणिज्यिक अंतरिक्ष उड़ान थी, जिसे अमेरिकी कंपनी Axiom Space, नासा और इसरो के सहयोग से संचालित किया गया।
हालांकि तकनीकी परीक्षण और मौसम के कारण मिशन में देरी हुई, लेकिन अंततः 25 जून 2025 को यह मिशन फ्लोरिडा के केनेडी स्पेस सेंटर से SpaceX के Falcon-9 रॉकेट के माध्यम से सफलतापूर्वक लॉन्च हुआ।
अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) तक की यात्रा
26 जून 2025 को शुभांशु शुक्ला और उनकी टीम ISS पहुंची और 18 दिनों तक अंतरिक्ष में रहकर वैज्ञानिक कार्यों को अंजाम दिया। इस अवधि में शून्य गुरुत्वाकर्षण (Microgravity) में कई भारतीय वैज्ञानिक प्रयोग किए गए।
अंतरिक्ष में किए गए वैज्ञानिक प्रयोग
शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष में रहते हुए 7 भारतीय प्रयोग किए:
- मूंग और मेथी के बीजों की अंकुरण क्षमता
- स्टेम सेल पर शोध
- माइक्रोएल्गी (सूक्ष्म शैवाल) पर प्रभाव
- शून्य गुरुत्वाकर्षण में जल बुलबुले का व्यवहार
- कॉग्निटिव लोड यानी मस्तिष्क पर प्रभाव का अध्ययन
इन प्रयोगों से भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों और जैविक शोध को नई दिशा मिलेगी।
संवाद और प्रेरणा
मिशन के दौरान शुभांशु शुक्ला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, छात्रों, और ISRO वैज्ञानिकों से बातचीत की। रेडियो और वीडियो कॉल के जरिए उन्होंने अपने अनुभव साझा किए, जिससे युवा पीढ़ी को अंतरिक्ष विज्ञान में रुचि लेने की प्रेरणा मिली।
वापसी की प्रक्रिया और सफलता
13 जुलाई 2025 को विदाई समारोह के बाद, 14 जुलाई को ड्रैगन ग्रेस यान ने ISS से अनडॉक किया।
15 जुलाई को, कैप्सूल ने कैलिफोर्निया के पास समुद्र में सुरक्षित लैंडिंग की और टीम सकुशल धरती पर लौट आई। यह मिशन पूरी तरह सफल रहा।
भारत के लिए ऐतिहासिक क्षण
शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा ने भारत के वैज्ञानिक और रक्षा क्षेत्रों को नई ऊर्जा दी है। इससे न केवल भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं का प्रदर्शन हुआ, बल्कि भविष्य में स्वदेशी अंतरिक्ष यात्रियों के लिए भी रास्ता खुला।