
नई दिल्ली, शब्दरंग समाचार 13 अगस्त 2025: बिहार में चल रही स्पेशल इंटेंसिव रिवीज़न (SIR) प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई। यह प्रक्रिया वोटर लिस्ट में रिवीज़न से जुड़ी है।सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने मामले की सुनवाई की।
याचिकाकर्ताओं की दलीलें
सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, “रिवीज़न के खिलाफ कोई नहीं है, लेकिन इसे चुनाव के बाद किया जाना चाहिए।”
उन्होंने 2003 के उदाहरण का हवाला देते हुए बताया कि तब विधानसभा चुनाव से दो साल और लोकसभा चुनाव से एक साल पहले रिवीज़न हुआ था।सिंघवी ने यह भी कहा कि चुनाव के बाद रिवीज़न क्यों नहीं किया जा सकता, इसका कोई जवाब नहीं मिला।
प्रशांत भूषण ने दलील दी कि भले ही चुनाव आयोग (ECI) की दलीलें इस हफ्ते पूरी न हों, लेकिन कोर्ट को ECI से अतिरिक्त दस्तावेज़ मंगाने चाहिए।
इनमें शामिल हों:
1ड्राफ्ट सूची से बाहर किए गए 65 लाख लोगों की लिस्ट और बाहर करने के कारण।
बूथ लेवल ऑफिसर की सिफारिश वाली लिस्ट।
गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि चुनाव आयोग ने आधार और राशन कार्ड जैसे अतिरिक्त दस्तावेज़ों को शामिल करने का कोर्ट का सुझाव नहीं माना। उन्होंने आशंका जताई कि यह प्रक्रिया अन्य राज्यों जैसे पश्चिम बंगाल में भी लागू की जा सकती है।
कोर्ट का रुख
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुनवाई कल भी जारी रहेगी।याचिकाकर्ताओं के वकीलों को 30 मिनट का समय दिया जाएगा।इसके बाद चुनाव आयोग के वकील अपनी दलीलें रखेंगे।