बिजनौर में तेंदुओं का ख़ौफ़ और बचाव की कोशिशें

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शब्दरंग समाचार: उत्तर प्रदेश के बिजनौर में सर्द मौसम के बीच गन्ने के खेतों में तेंदुओं का डर छाया हुआ है। किसान और मजदूर सिर के पीछे मुखौटा बांधकर खेतों में काम कर रहे हैं। यह कोई अजीब प्रथा नहीं, बल्कि वन विभाग की तरफ़ से तेंदुओं के हमले से बचने का एक उपाय है।

तेंदुओं का आतंक

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, साल 2023 से अब तक बिजनौर में तेंदुओं के हमलों में 17 लोगों की जान जा चुकी है। इनमें से ज़्यादातर बच्चे थे। इस ख़ौफ़ के चलते किसानों ने वन विभाग से मदद की गुहार लगाई, जिसके बाद उन्हें मुखौटे दिए गए।

मुखौटा: तेंदुए को भ्रमित करने का प्रयासडीएफओ ज्ञान सिंह के मुताबिक, तेंदुए आमतौर पर पीछे से हमला करते हैं। यदि उन्हें लगे कि इंसान उन्हें देख रहा है, तो वे हमले से बचते हैं। इसी विचार के तहत किसानों को सिर के पीछे मुखौटा बांधने की सलाह दी गई।

पिछली घटनाओं की झलक

मलकपुर की घटना: सुनीता देवी की बेटी तान्या पर तेंदुए ने हमला किया और उसे मौत के घाट उतार दिया।

अफ़ज़लगढ़ की घटना: 55 वर्षीय टेकवीर सिंह नेगी ने तेंदुए से संघर्ष किया और उसे मार गिराया। हालाँकि, इस संघर्ष में उन्हें गंभीर चोटें आईं।

भिक्कावाला: यहाँ अक्सर तेंदुओं के चार सदस्यों का परिवार दिखाई देता है, जिससे लोग डरे हुए हैं।

वन विभाग के प्रयास

वन विभाग ने अब तक 5,000 से अधिक मुखौटे बांटे हैं और 82 पिंजरे लगाए हैं। साथ ही, ‘नेक प्रोटेक्टर’ उपलब्ध कराने की योजना बनाई जा रही है।

किसानों और विशेषज्ञों की राय

कुछ किसानों का सुझाव है कि मुखौटा शेर या बाघ के चेहरे का होता, तो तेंदुए अधिक डरते।वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि इस उपाय की सफलता सुनिश्चित नहीं है, लेकिन जागरूकता और सामूहिक सतर्कता से बेहतर परिणाम मिल सकते हैं।

भारत में तेंदुओं की स्थिति

भारत में तेंदुओं की आबादी लगभग 13,874 है। बिजनौर में अनुमानित 150-200 तेंदुए हैं, लेकिन बढ़ती इंसानी बस्तियों और घटते जंगलों के कारण मानव-वन्यजीव संघर्ष बढ़ रहा है।

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