
नई दिल्ली।15 मई 2025, शब्दरंग समाचार:
बिहार के पूर्व मंत्री बृज बिहारी प्रसाद हत्याकांड में दोषी पाए गए पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा झटका दिया है। शीर्ष अदालत ने उनकी उम्रकैद की सजा पर पुनर्विचार करने से इनकार कर दिया और याचिका खारिज कर दी।
1998 में दिनदहाड़े हुई थी हत्या
बृज बिहारी प्रसाद की हत्या 1998 में पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में उस वक्त कर दी गई थी जब वे शाम की सैर पर निकले थे। वे उस समय बिहार सरकार में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री थे और इंजीनियरिंग एडमिशन घोटाले में आरोपी होने के कारण न्यायिक हिरासत में थे।
निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक का सफर
* 2009 : सीबीआई की जांच के बाद निचली अदालत ने मुन्ना शुक्ला, सूरजभान सिंह समेत 8 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई।
* 2014 : पटना हाई कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में सभी को बरी कर दिया।
* 2023 : रमा देवी (बृज बिहारी की पत्नी) और सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की।
* 4 अक्टूबर 2024 : सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट का निर्णय पलटते हुए मुन्ना शुक्ला और मंटू तिवारी को उम्रकैद की सजा दी।
* 6 मई 2025 : पुनर्विचार याचिका को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि “पुनर्विचार का कोई आधार नहीं है।”
याचिका खारिज होने के पीछे तर्क
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि निचली अदालत द्वारा दिए गए साक्ष्य पर्याप्त हैं और हाई कोर्ट द्वारा आरोपियों को बरी किया जाना विधिक दृष्टिकोण से गलत था। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, संजय कुमार और आर महादेवन की पीठ ने इस फैसले को सुनाया।
रमा देवी की भूमिका और न्याय की लड़ाई
रमा देवी, जो खुद एक पूर्व सांसद रह चुकी हैं, ने अपने पति के हत्यारों को सजा दिलाने के लिए लगातार कानूनी लड़ाई लड़ी। उन्होंने पटना हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिससे पुनः न्याय प्रक्रिया शुरू हुई।