वित्त वर्ष 2025-26 का बजट: मध्य वर्ग को राहत, अर्थव्यवस्था को गति देने की कोशिश

नई दिल्ली शब्दरंग समाचार: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को वित्त वर्ष 2025-26 का बजट पेश करते हुए मध्य वर्ग के लिए बड़े इनकम टैक्स प्रावधानों की घोषणा की। नए टैक्स स्लैब के तहत 12 लाख रुपये तक की सालाना आय पर कोई इनकम टैक्स नहीं देना होगा, जबकि वेतनभोगी वर्ग के लिए यह सीमा बढ़ाकर 12.75 लाख रुपये कर दी गई है।विशेषज्ञों के मुताबिक, इन प्रावधानों से सालाना 13 लाख रुपये कमाने वाले व्यक्ति को 60 से 70 हजार रुपये की टैक्स बचत होगी। नया टैक्स ढांचा इस प्रकार होगा:4 से 8 लाख रुपये की आय पर 5% टैक्स8 से 12 लाख रुपये की आय पर 10% टैक्स12 से 16 लाख रुपये की आय पर 15% टैक्सपहले 12 से 15 लाख रुपये की आय पर 20% टैक्स देना पड़ता था, जिससे इस आय वर्ग को अब राहत मिलेगी।

आर्थिक मंदी और मांग बढ़ाने की रणनीति

भारत की अर्थव्यवस्था इस समय मांग की कमी से जूझ रही है। वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की जीडीपी ग्रोथ 6.4% रही, जो पिछले चार वर्षों में सबसे कम है। सरकार का मानना है कि मध्य वर्ग के हाथ में अधिक पैसा देने से उपभोग बढ़ेगा, जिससे बाजार और औद्योगिक गतिविधियों को गति मिलेगी।कंज़्यूमर इकोनॉमिस्ट राजेश शुक्ला के अनुसार, “लोअर मिडिल क्लास महंगाई की मार झेल रहा है। इनकम टैक्स में छूट से सालाना 70-80 हजार रुपये की अतिरिक्त रकम लोगों के पास बचेगी, जिससे उनकी क्रय शक्ति बढ़ेगी।”

आलोचना: क्या टैक्स छूट ही समाधान है?

कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि सिर्फ इनकम टैक्स में छूट से अर्थव्यवस्था को गति नहीं मिलेगी। प्रसिद्ध अर्थशास्त्री अरुण कुमार ने कहा कि सरकार को इनडायरेक्ट टैक्स (जीएसटी) की दरें घटाने पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि इनका असर गरीब और मध्यम वर्ग दोनों पर पड़ता है।उन्होंने बताया कि भारत में केवल 3.5 करोड़ लोग ही वास्तविक टैक्सदाता हैं, जबकि देश की आबादी 140 करोड़ से अधिक है। ऐसे में टैक्स छूट से संपूर्ण अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव पड़ने की संभावना कम है।

जीएसटी कलेक्शन बढ़ा, लेकिन उपभोग घटा

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर 2024 में जीएसटी कलेक्शन 1.77 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो 2023 की तुलना में 7.3% अधिक है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि उच्च जीएसटी दरों के कारण वस्तुएं महंगी हो रही हैं, जिससे खपत प्रभावित हो रही है।अरुण कुमार के अनुसार, “सरकार को ग्रामीण विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य और इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च बढ़ाना चाहिए। इससे रोजगार पैदा होगा, आम लोगों की आमदनी बढ़ेगी और मांग में इजाफा होगा।”

राजनीतिक दृष्टिकोण: चुनावी तैयारी का कदम?

कुछ विश्लेषकों का मानना है कि इनकम टैक्स में छूट का यह कदम दिल्ली विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है, जहां बड़ी संख्या में सरकारी कर्मचारी और मध्य वर्ग के मतदाता रहते हैं।

वित्त वर्ष 2025-26 का बजट मध्य वर्ग को कर राहत देकर उसकी क्रय शक्ति बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, जिससे अर्थव्यवस्था को गति देने की उम्मीद है। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि सिर्फ टैक्स छूट पर्याप्त नहीं होगी और सरकार को रोजगार और बुनियादी ढांचे पर निवेश बढ़ाने की जरूरत है।

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