आज शब्दरंग साहित्य में पढ़िए राम सुजान अमर की कविता
‘सती’ रूपकंवर कांड पर 37 सालों बाद फैसला आ गया है और आरोपी बरी हो गये हैं। इससे मेरी पुरानी स्मृतियां ताजा हो गईं। मैं तब दिवराला के उस ‘वध-स्थल’…
आज शब्दरंग साहित्य में पढ़िए सुजाता जी की किताब “विकल विद्रोहिणी पंडिता रमाबाई” पर लेखिका निवेदिता द्वारा लिखी समीक्षात्मक टिप्पणी।
सुजाता द्वारा लिखी पंडिता रमाबाई की ये जीवनी आज भी स्त्रीवादी परिदृश्य में अपरिहार्य कारणों से पठन योग्य हैl भारत की पहली फेमिनिस्ट स्त्री पंडिता रमाबाई अपने समय के कुछ…
शब्दरंग साहित्य में आज पढ़िए डाॅ.अभिषेक लिखित नवगीत
नित विरल होती जा रही है संवेदना ********************************** छल , छद्म , स्वार्थ का बादल नित होता घना नित विरल होती जा रही है संवेदना संकुचित होते जा रहे सोच…
मुकेश कुमार सिन्हा प्रायः प्रेम पर कविताएँ लिखते हैं,परंतु जब वे अन्य विषयों पर लिखते हैं, तो उनकी शैली, शब्दावली और भावनाएँ एक अलग ही रंग में ढल जाते हैं।उनकी ऐसी कविताएँ पाठकों को इस कदर मोहित कर देती हैं कि वे उसमें पूरी तरह खो जाते हैं।
जिंदगी एक ब्लैक होल तो नहींजो सोते हुए, किसी खास पल मेंमिचमिचाते पलकों के साथधक से खूब ऊंचे धड़कनों को थामेंजग जाते हैं …दूर तलक सब कुछ थमा हैनहीं समझ…
शब्दरंग साहित्य में आज पढ़िए भारत भूषण जोशी जी की ग़ज़ल “ये मय कर रही है असर धीरे-धीरे”
ये मय कर रही है असर धीरे – धीरे रगों में है चढ़ता ज़हर धीरे – धीरे वो भूली कहानी है फिर याद आई हुए ज़ख़्म सब्ज़ा मगर धीरे-धीरे वो…
श्रीरामचरितमानस को नए दृष्टिकोण से व्याख्यायित करता ग्रंथ “रामचरितमानस की लोकव्यापकता”-रतिभान त्रिपाठी
जाने-माने कवि और लेखक डॉ. रविशंकर पाण्डेय की एक नई पुस्तक “रामचरितमानस की लोकव्यापकता” हाल में ही सेतु प्रकाशन नई दिल्ली से छपकर आई है। चार सौ पृष्ठों की यह…
आज शब्दरंग साहित्य में पढ़िए आदरणीय रविनंदन सिंह की कविता ” पानी का एक ताजा घूॅंट
पानी का एक ताजा घूँट –—————————————————– पहली बार घर छोड़कर जब चला था गांव से शहर मुझे याद है एक लोटा था मेरे साथ माँ का दिया हुआ जिसमें थी…
सोनी नीलू झा मैथिली की प्रसिद्ध कवयित्री हैं। परंतु, जब वे हिंदी कविता के लिए कलम उठाती हैं, तब भी उनके शब्दों का जादू हमें मोह लेता है। कुछ प्रश्न अनुत्तरित ही रह जाते हैं। ऐसा ही एक प्रश्न सोनी की कविता में किया गया है, जिसका उत्तर सदियों तक नहीं मिलने वाला।
।। छाया ।। पृथ्वी अस्तित्व है उसका ब्रह्माण्ड में विस्तृत धरा पर। तुम्हें ज़मीन पर अपना अस्तित्व चाहिए था,और मुझे उनसे आँखें मिलाकर कुछ प्रश्नों के उत्तर। पूछना था कि…
आज पढ़िए शब्दरंग साहित्य में अंतरराष्ट्रीय कवयित्री नुसरत अतीक की प्यारी सी ग़ज़ल
हज़ार ग़म सहे बस तेरी इक हंसी के लिए तू ख़ुश रहे यही काफ़ी है ज़िन्दगी के लिए सुबूत अपनी मोहब्बत का और क्या देते “तुझे भी भूल गए हम…
शब्दरंग साहित्य में आज पढ़िए बेहद सरल , स्नेहिल , बहु प्रतिभाशाली व्यक्तित्व की धनी प्रोफेसर मंगला रानी जी को।
फाग छोड़े जाते हो ! **************** मुस्कानों के छंद में साज छोड़े जाते हो, राग बिहाग अनुराग छोड़े जाते हो..! आँखों की कोरों के नशीले इशारों में, सुरीले रसीले संवाद…