हिन्दुस्तानी अकादमी के पूर्व अध्यक्ष 91 वर्षीय हरिमोहन मालवीय नहीं रहे
शब्दरंग संवाददाता: वरिष्ठ साहित्यकार हरिमोहन मालवीय का 91 वर्ष की उम्र में बुधवार रात्रि लखनऊ में निधन हो गया। पत्नी की मृत्यु के बाद से मालवीय जी अपने पुत्र गौरव…
गगन गिल को हिंदी साहित्य अकादमी पुरस्कार
नई दिल्ली, संवाददाता: प्रख्यात कवयित्री गगन गिल को उनके कविता संग्रह “मैं जब तक आई बाहर” के लिए हिंदी के प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। इस प्रतिष्ठित…
शब्दरंग साहित्य में पढ़िए प्रियंबदा पांडेय की कविता, ” उपासना का सूर्य”
उपासना का सूर्य वह जिसने बचपन में चुने थे फूल माई को चढ़ाने को खाई थी कुमारिकाओं की पाँत में पूड़ी,सब्जी और खीर। विस्मित होती थी जब लोग उसका पैर…
शब्दरंग साहित्य में पढ़िए अरुण धर्मावत की कविता,”एक पहेली ज़िन्दगी”
“एक पहेली ज़िन्दगी”~~संबंधों के रंगमंच पेनृत्य करती ज़िन्दगीकभी ये हंसती गाती हैकभी ये रोती ज़िन्दगी रिश्तों की बुनियादें धूमिलकुछ धूमिल धूमिल रिश्ते हैंआते जाते रंग बदलतीसांझ सवेरे ज़िन्दगी संबंधों के…
शब्दरंग साहित्य में आज पढ़िए सत्या सिंह की ग़ज़ल
भले पुराना सही लाख पैरहन मेरा। ख़ुदा का शुक्र है नंगा नही बदन मेरा। तबाह वक़्त के हाथों हुआ हूँ मैं वरना, कभी मिसाल था यारों रहन -सहन मेरा। उसी…
आज पढ़िए शब्दरंग साहित्य में पूनम वासम की कविता
पूछना तो चाहती थी वह नहीं जानती नदी के उस पार पगडंडी नहीं बल्कि कोई जादुई दुनिया है इस उम्र तक आते-आते वह सिर्फ साइकिल की सवारी का ही सुख…
आज शब्दरंग साहित्य में पढ़िए राम सुजान अमर की कविता
‘सती’ रूपकंवर कांड पर 37 सालों बाद फैसला आ गया है और आरोपी बरी हो गये हैं। इससे मेरी पुरानी स्मृतियां ताजा हो गईं। मैं तब दिवराला के उस ‘वध-स्थल’…
आज शब्दरंग साहित्य में पढ़िए सुजाता जी की किताब “विकल विद्रोहिणी पंडिता रमाबाई” पर लेखिका निवेदिता द्वारा लिखी समीक्षात्मक टिप्पणी।
सुजाता द्वारा लिखी पंडिता रमाबाई की ये जीवनी आज भी स्त्रीवादी परिदृश्य में अपरिहार्य कारणों से पठन योग्य हैl भारत की पहली फेमिनिस्ट स्त्री पंडिता रमाबाई अपने समय के कुछ…
शब्दरंग साहित्य में आज पढ़िए डाॅ.अभिषेक लिखित नवगीत
नित विरल होती जा रही है संवेदना ********************************** छल , छद्म , स्वार्थ का बादल नित होता घना नित विरल होती जा रही है संवेदना संकुचित होते जा रहे सोच…
मुकेश कुमार सिन्हा प्रायः प्रेम पर कविताएँ लिखते हैं,परंतु जब वे अन्य विषयों पर लिखते हैं, तो उनकी शैली, शब्दावली और भावनाएँ एक अलग ही रंग में ढल जाते हैं।उनकी ऐसी कविताएँ पाठकों को इस कदर मोहित कर देती हैं कि वे उसमें पूरी तरह खो जाते हैं।
जिंदगी एक ब्लैक होल तो नहींजो सोते हुए, किसी खास पल मेंमिचमिचाते पलकों के साथधक से खूब ऊंचे धड़कनों को थामेंजग जाते हैं …दूर तलक सब कुछ थमा हैनहीं समझ…