शब्दरंग साहित्य में आज पढ़िए भारत भूषण जोशी जी की ग़ज़ल “ये मय कर रही है असर धीरे-धीरे”

ये मय कर रही है असर धीरे – धीरे रगों में है चढ़ता ज़हर धीरे – धीरे वो भूली कहानी है फिर याद आई हुए ज़ख़्म सब्ज़ा मगर धीरे-धीरे वो…

श्रीरामचरितमानस को नए दृष्टिकोण से व्याख्यायित करता ग्रंथ “रामचरितमानस की लोकव्यापकता”-रतिभान त्रिपाठी

जाने-माने कवि और लेखक डॉ. रविशंकर पाण्डेय की एक नई पुस्तक “रामचरितमानस की लोकव्यापकता” हाल में ही सेतु प्रकाशन नई दिल्ली से छपकर आई है। चार सौ पृष्ठों की यह…

आज शब्दरंग साहित्य में पढ़िए आदरणीय रविनंदन सिंह की कविता ” पानी का एक ताजा घूॅंट

पानी का एक ताजा घूँट –—————————————————– पहली बार घर छोड़कर जब चला था गांव से शहर मुझे याद है एक लोटा था मेरे साथ माँ का दिया हुआ जिसमें थी…

सोनी नीलू झा मैथिली की प्रसिद्ध कवयित्री हैं। परंतु, जब वे हिंदी कविता के लिए कलम उठाती हैं, तब भी उनके शब्दों का जादू हमें मोह लेता है। कुछ प्रश्न अनुत्तरित ही रह जाते हैं। ऐसा ही एक प्रश्न सोनी की कविता में किया गया है, जिसका उत्तर सदियों तक नहीं मिलने वाला।

।। छाया ।। पृथ्वी अस्तित्व है उसका ब्रह्माण्ड में विस्तृत धरा पर। तुम्हें ज़मीन पर अपना अस्तित्व चाहिए था,और मुझे उनसे आँखें मिलाकर कुछ प्रश्नों के उत्तर। पूछना था कि…

आज पढ़िए शब्दरंग साहित्य में अंतरराष्ट्रीय कवयित्री नुसरत अतीक की प्यारी सी ग़ज़ल

हज़ार ग़म सहे बस तेरी इक हंसी के लिए तू ख़ुश रहे यही काफ़ी है ज़िन्दगी के लिए सुबूत अपनी मोहब्बत का और क्या देते “तुझे भी भूल गए हम…

शब्दरंग साहित्य में आज पढ़िए बेहद सरल , स्नेहिल , बहु प्रतिभाशाली व्यक्तित्व की धनी प्रोफेसर मंगला रानी जी को।

फाग छोड़े जाते हो ! **************** मुस्कानों के छंद में साज छोड़े जाते हो, राग बिहाग अनुराग छोड़े जाते हो..! आँखों की कोरों के नशीले इशारों में, सुरीले रसीले संवाद…

शब्दरंग साहित्य में आज पढिए अंतरराष्ट्रीय कवि श्लेष गौतम के गीत ,”बज जाते थे यार सुबह के चार दिसंबर में”

बज जाते थे यार सुबह के चार दिसंबर में ******* याद तुम्हारी लहरों पर पतवार दिसंबर में डूब रहे मन को जैसे त्यौहार दिसंबर में सिहरन नहीं छुवन होती थी…

सुप्रसिद्ध कवयित्री शिखा श्रीवास्तव की कविता “तुम्हीं से है मन का उजियारा”

तुम नैनों की प्रथम दृष्टि का एकमात्र हो प्यार, तुम्हीं से है मन का उजियार, मैं तुममें बहती गंगा हूँ, तुम मेरे हरिद्वार, तुम्हीं से है मन का उजियार, भले…

आईएएस अधिकारी श्री अखिलेश मिश्रा जी की कविता

शब्दरंग साहित्य में आज पढ़िए आईएएस अधिकारी अखिलेश मिश्रा जी की कविता : तुम आइ .. तुम आइ . तुम आइ .मेरे मन आँगन में छम छम .. तुम आइ…

सहकारिता भवन में उर्दू अकादमी और मसूदिया गरीब नवाज़ सोसाइटी द्वारा शानदार कवि सम्मेलन व मुशायरे का आयोजन

लखनऊ के सहकारिता भवन में उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी और मसूदिया गरीब नवाज़ सोसाइटी के संयुक्त तत्वावधान में एक भव्य कवि सम्मेलन और मुशायरे का आयोजन हुआ। इस अदबी महफ़िल…