शब्दरंग समाचार: 18 वर्षीय भारतीय शतरंज खिलाड़ी डी गुकेश ने विश्व शतरंज चैंपियन बनकर इतिहास रच दिया है। चेन्नई के इस युवा खिलाड़ी ने न केवल अपनी असाधारण प्रतिभा से खेल जगत को प्रभावित किया, बल्कि आर्थिक कठिनाइयों और व्यक्तिगत संघर्षों को भी पीछे छोड़ते हुए सफलता की नई मिसाल कायम की।खिलौने से चैंपियन तक का सफरगुकेश की शतरंज के प्रति रुचि बचपन में तब शुरू हुई, जब एक खिलौने के रूप में उन्हें शतरंज का सेट मिला। इसके बाद यह खेल उनके जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया। गुकेश ने कहा, “मैं शतरंज पैसे के लिए नहीं, बल्कि इसके आनंद के लिए खेलता हूं। बचपन से ही मुझे इस खेल से गहरा लगाव रहा है।”
परिवार का बलिदान
गुकेश की इस सफलता के पीछे उनके माता-पिता के बलिदान की बड़ी भूमिका रही। उनके पिता डॉ. रजनीकांत, जो एक ईएनटी सर्जन थे, ने बेटे के साथ सफर करने और उसे सपोर्ट करने के लिए अपना करियर छोड़ दिया। उनकी मां, जो एक माइक्रोबायोलॉजिस्ट हैं, परिवार की एकमात्र कमाने वाली सदस्य बन गईं। आर्थिक और भावनात्मक कठिनाइयों के बावजूद, उन्होंने अपने बेटे के सपनों को पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास किया।
करोड़ों की संपत्ति और नई पहचान
आज गुकेश न केवल विश्व शतरंज चैंपियन हैं, बल्कि 11.45 करोड़ रुपये की संपत्ति के मालिक भी बन चुके हैं। यह उपलब्धि उनके और उनके परिवार के संघर्षों को दर्शाती है। हालांकि, उनके लिए पैसे से ज्यादा शतरंज का आनंद मायने रखता है।
नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा
गुकेश की सफलता नई पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा है। यह साबित करता है कि समर्पण, मेहनत और परिवार के सहयोग से किसी भी सपने को साकार किया जा सकता है।गुकेश की यह उपलब्धि न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का विषय है।
ननशनननन