फ़ातिमा शेख़ और सावित्रीबाई फुले: इतिहास और तथ्यों का परिदृश्य

Share this News

शब्दरंग संवाददाता : फ़ातिमा शेख़ और सावित्रीबाई फुले के रिश्ते और उनके ऐतिहासिक योगदान पर दस्तावेज़ों और चर्चाओं में सीमित जानकारी उपलब्ध है। लेकिन जो तथ्य और संदर्भ मौजूद हैं, वे इस बात की पुष्टि करते हैं कि फ़ातिमा शेख़ सावित्रीबाई फुले की साथी थीं और उनके साथ मिलकर शिक्षा के क्षेत्र में ऐतिहासिक कार्य किए।

क्या उपलब्ध दस्तावेज़ क्या बताते हैं?

1. सावित्रीबाई फुले की चिट्ठी

10 अक्टूबर 1856 को सावित्रीबाई फुले ने जोतिराव फुले को एक पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने फ़ातिमा शेख़ का जिक्र किया। इस पत्र से पता चलता है कि फ़ातिमा शेख़ ने उनकी अनुपस्थिति में लड़कियों और वंचित वर्गों के लिए स्कूल की ज़िम्मेदारी संभाली। यह सावित्रीबाई और फ़ातिमा के गहरे संबंध और उनके साझा मिशन का प्रमाण है।

2. सामूहिक तस्वीर और ऐतिहासिक संदर्भ’

सावित्रीबाई फुले समग्र वाङ्मय’ में छपी एक ऐतिहासिक तस्वीर में फ़ातिमा शेख़ सावित्रीबाई के साथ नज़र आती हैं। यह तस्वीर सौ साल पुरानी एक निगेटिव से पुनः बनाई गई थी। यह तस्वीर फुले दंपति और फ़ातिमा शेख़ के साझे प्रयासों का सबसे बड़ा दृश्य प्रमाण है।

3. फ़ातिमा शेख़ का योगदान

फ़ातिमा शेख़, जोतिराव फुले और सावित्रीबाई के साथ मिलकर वंचित वर्गों और लड़कियों को शिक्षित करने के लिए काम कर रही थीं। यह वह दौर था जब समाज में जाति और लिंग के आधार पर भेदभाव चरम पर था। फुले दंपति को समाज के विरोध का सामना करना पड़ा, और यह संघर्ष फ़ातिमा ने भी सहा।

4. पुणे का पहला स्कूल

पुणे में महात्मा फुले द्वारा स्थापित पहले स्कूल में फ़ातिमा शेख़ ने सावित्रीबाई के साथ मिलकर शिक्षण कार्य किया। पुणे में इस स्कूल की दीवारें आज भी उनकी साझी कोशिशों की गवाही देती हैं।

फ़ातिमा शेख़ का महत्व और पहचान

फ़ातिमा शेख़ का योगदान सावित्रीबाई के समान ही महत्वपूर्ण है। हालांकि उनके बारे में लिखित दस्तावेज़ या आत्मकथाएँ उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन सावित्रीबाई के पत्रों और अन्य संदर्भों से स्पष्ट होता है कि वे शिक्षा के क्षेत्र में फुले दंपति की प्रमुख सहयोगी थीं।

क्या फ़ातिमा शेख़ काल्पनिक हैं?

ऐतिहासिक साक्ष्य, सावित्रीबाई की चिट्ठी और तस्वीरें यह साबित करती हैं कि फ़ातिमा शेख़ काल्पनिक नहीं हैं। वे एक वास्तविक और साहसी महिला थीं, जिन्होंने जाति और धर्म की सीमाओं को पार करते हुए शिक्षा और सामाजिक सुधार में अपना योगदान दिया।

फ़ातिमा शेख़ का दर्जा

अगर सावित्रीबाई फुले को भारत की पहली महिला शिक्षिका माना जाता है, तो फ़ातिमा शेख़ को भी इसी दर्जे का सम्मान मिलना चाहिए। उनका योगदान न केवल मुसलमान महिलाओं के लिए बल्कि समूचे भारतीय समाज के लिए प्रेरणास्रोत है।

फ़ातिमा शेख़ सावित्रीबाई फुले की साथी थीं, और उनका योगदान भारतीय समाज में शिक्षा और सामाजिक सुधार के क्षेत्र में मील का पत्थर है। हालांकि उनके बारे में कम जानकारी उपलब्ध है, लेकिन जो तथ्य सामने आते हैं, वे उनके महत्वपूर्ण योगदान को स्थापित करते हैं।

  • Related Posts

    RJD के राष्ट्रीय महामंत्री और उप्र के अध्यक्ष श्री अशोक सिंह जी का साक्षात्कार

    Share this News

    Share this Newsराष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय महामंत्री एवं उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष अशोक सिंह जी का पूरा इंटरव्यू देखें और यदि पसंद आए लाइक शेयर एंड सब्सक्राइब करें

    देवमणि द्विवेदी जी का साक्षात्कार

    Share this News

    Share this Newsशब्दरंग संवाददाता: इस विशेष पॉडकास्ट एपिसोड में, हम चर्चा करते हैं देवमणि द्विवेदी जी के साथ, जो लम्भुआ, उत्तर प्रदेश से 17वीं विधानसभा के सदस्य हैं और भारतीय…

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *