शब्दरंग संवाददाता: वरिष्ठ साहित्यकार हरिमोहन मालवीय का 91 वर्ष की उम्र में बुधवार रात्रि लखनऊ में निधन हो गया। पत्नी की मृत्यु के बाद से मालवीय जी अपने पुत्र गौरव (मनु) के साथ लखनऊ में रहते थे। पिछले कुछ दिनों से उन्हें सांस लेने में दिक्कत थी, जिसके कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया था।हरिमोहन मालवीय जी का जन्म 16 सितम्बर, 1933 में इलाहाबाद में हुआ था। आपने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिन्दी मे एमए और चित्रकला में डिप्लोमा किया था। एक दशक से अधिक समय तक आपने हिन्दी साहित्य सम्मेलन के साहित्य विभाग में अध्यक्ष के रूप में कार्य किया था। 1991 में उत्तर प्रदेश शासन से हिन्दुस्तानी एकेडेमी के सचिव नियुक्त हुए। 1998 में अध्यक्ष नामित हुए और एकेडेमी की त्रैमासिक पत्रिका हिन्दुस्तानी के सम्पादन का दायित्व कुशलतापूर्वक सम्भाला।मालवीय जी ने साहित्य जगत में अपनी एक अलग पहचान बनायी। हिन्दी के प्रचार-प्रसार एवं उन्नयन में मालवीय जी ने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। मलवीय जी प्रायः कहते थे “संस्थाएं अनुदान से नहीं अनुराग से चलती हैं।” हिन्दी साहित्य के पाठालोचन एवं सम्पादन कार्य में हरिमोहन मालवीय जी सिद्धहस्त माने जाते थे। वृन्दावन शोध संस्थान, वृन्दावन में निदेशक के रूप में रहकर ब्रज साहित्य में आपने विशेष शोध किया। तानसेन की कृति ‘रागमाला’ का आपने सम्पादन किया। श्री पथरचट्टी रामलीला स्मारिका का चार दशक तक सम्पादन किया। श्वेता प्रकाशन द्वारा आपकी पुस्तक ‘हिन्दी साहित्य सृजन और चिन्तन’ दो वर्ष पूर्व प्रकाशित हुई, जिसका लोकार्पण पं. केशरी नाथ त्रिपाठी ने किया था। आकाशवाणी और दूरदर्शन से अनेक रूपक एवं वार्ताएं प्रसारित हुई। हरिमोहन मालवीय जी को अनेक सम्मान एवं पुरस्कार प्राप्त हुए जिनमें प्रमुख हैं- केन्द्रीय हिन्दी संस्थान द्वारा गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा साहित्य भूषण सम्मान, विज्ञान परिषद् प्रयाग द्वारा शाताब्दी सम्मान।हरिमोहन मालवीय जी के निधन की सूचना मिलते ही साहित्य जगत में शोक की लहर दौड़ पड़ी। आपकी कमी हिन्दी साहित्य जगत में हमेशा अनुभव की जाती रहेगी। वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. हेरम्ब चतुर्वेदी, सरस्वती के सम्पादक रविनन्दन सिंह, सतीश चन्द्र टण्डन, पत्रकार रतिभान त्रिपाठी, कवि यश मालवीय, डॉ. धनन्जय चोपड़ा, वरिष्ठ पार्षद आनन्द घिल्डियाल ‘आनू’, स्नेह मधुर सहित अनेक लोगों ने शोक व्यक्त किया।हरिमोहन मालवीय जी का पार्थिव शरीर मालवीय नगर स्थित उनके आवास पर रखा गया, जहाँ लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके बाद ककहरा घाट पर सायंकाल अंतिम संस्कार किया गया। मुखाग्नि उनके पुत्र गौरव मालवीय ने दी।
शब्दरंग स्टूडियो में आज का व्यस्त दिन: पॉडकास्ट और हनुमान चालीसा पर विशेष जानकारी
Share this News शब्दरंग साहित्य। लखनऊ। आज शब्दरंग स्टूडियो में एक सक्रिय और रचनात्मक माहौल देखने को मिला। दिनभर में कई महत्वपूर्ण शूटिंग हुईं, जिनमें धार्मिक, सांस्कृतिक और शैक्षिक विषयों…