शब्दरंग समाचार: I.N.D.I.A. गठबंधन, जिसे भाजपा के खिलाफ एकजुट विपक्षी मोर्चा बनाने के उद्देश्य से बनाया गया था, अंततः आंतरिक विवादों के चलते बिखर गया। विभिन्न राजनीतिक दलों के नेतृत्व और उनके व्यक्तिगत हितों के टकराव ने इसे टिकने नहीं दिया।
प्रमुख कारण:
1. नीति और नेतृत्व में असहमति:राहुल गांधी को विपक्षी एकता का चेहरा बनाने के प्रयास में ममता बनर्जी, लालू यादव, अखिलेश यादव, अरविंद केजरीवाल, और तेजस्वी यादव जैसे नेताओं के अलग-अलग विचार सामने आए।ममता बनर्जी ने शुरू से ही बंगाल में कांग्रेस और वाम दलों को दुश्मन मानकर अलग रास्ता अपनाया।तेजस्वी यादव ने इसे केवल लोकसभा चुनाव तक सीमित व्यवस्था बताया, जिससे गठबंधन पर प्रश्नचिह्न लगा।
2. क्षेत्रीय दलों का दबदबा:ममता बनर्जी (टीएमसी) और अरविंद केजरीवाल (AAP) ने अपने-अपने राज्यों में कांग्रेस के साथ तालमेल से इनकार किया।बिहार में आरजेडी और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे को लेकर विवाद उभरने की संभावना ने गठबंधन को कमजोर कर दिया।
3. नीतीश कुमार की वापसी एनडीए में:गठबंधन बनाने की प्रमुख भूमिका निभाने वाले नीतीश कुमार ने चुनाव से पहले एनडीए में लौटकर इसे झटका दिया।
4. लोकसभा और विधानसभा चुनाव परिणाम:2024 के लोकसभा चुनाव और हरियाणा-महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों में हार के बाद, गठबंधन की कमजोरियां उजागर हुईं।
5. व्यक्तिगत और राजनीतिक स्वार्थ:लालू परिवार और गांधी परिवार के घनिष्ठ संबंधों के बावजूद, आरजेडी ने कांग्रेस को तवज्जो देने से मना कर दिया।
क्या कांग्रेस अकेली रह गई?
गठबंधन के टूटने के बाद कांग्रेस अब अकेले भाजपा के खिलाफ संघर्षरत है। क्षेत्रीय दल अपने राज्यों में मजबूत पकड़ के चलते कांग्रेस को पीछे छोड़ना चाहते हैं।
आगे की राह:
गठबंधन के विफलता के बावजूद, कांग्रेस को अब अपनी स्थिति मजबूत करनी होगी और अन्य दलों को फिर से एकजुट करने के लिए नए सिरे से रणनीति बनानी होगी।