
नई दिल्ली, 7 अगस्त, शब्दरंग समाचार– अमेरिका द्वारा भारत के रूस से तेल आयात पर 50% तक का टैरिफ लगाने के फैसले पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। भारत सरकार ने इस कदम को “अनुचित, अन्यायपूर्ण और बेवजह” करार देते हुए स्पष्ट किया है कि वह देश के राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए हर आवश्यक कदम उठाएगा।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर करते हुए भारतीय उत्पादों पर कुल 50% टैरिफ लगाने की घोषणा की है। पहले 25% शुल्क 7 अगस्त से लागू होगा, जबकि अतिरिक्त 25% शुल्क 27 अगस्त से प्रभावी होगा। यह कदम तब उठाया गया जब भारत ने रूस से तेल और गैस खरीद जारी रखी, जिसे लेकर ट्रंप प्रशासन ने आपत्ति जताई थी।
भारत का करारा जवाब
विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में भारत ने स्पष्ट किया कि तेल आयात का निर्णय देश की ऊर्जा जरूरतों और 1.4 अरब नागरिकों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए किया जाता है।
मंत्रालय ने कहा, “हमने अपनी स्थिति पहले ही साफ कर दी है। हमारा तेल आयात पूरी तरह बाजार की परिस्थितियों और ऊर्जा सुरक्षा पर आधारित है। अमेरिका द्वारा भारत को निशाना बनाना पूरी तरह से अनुचित और नाइंसाफ़ी है।”
भारत ने यह भी कहा कि वैश्विक स्तर पर कई देश अपने-अपने राष्ट्रीय हितों के तहत इसी प्रकार के निर्णय ले रहे हैं, लेकिन भारत के खिलाफ इस तरह की कार्रवाई एकतरफा और भेदभावपूर्ण है।
ट्रंप की चेतावनी और कार्रवाई
राष्ट्रपति ट्रंप ने मंगलवार को चेतावनी दी थी कि यदि भारत रूस से तेल खरीदना बंद नहीं करता, तो वह 24 घंटे के भीतर भारी टैरिफ लगाएंगे। ट्रंप का आरोप है कि रूस, भारत से मिले धन का इस्तेमाल यूक्रेन युद्ध में कर रहा है, जबकि भारत सस्ता तेल पाने के लिए नैतिक ज़िम्मेदारी को नजरअंदाज कर रहा है।
भारत ने जताई ऊर्जा सुरक्षा की प्राथमिकता
भारत सरकार ने स्पष्ट किया कि उसकी पहली प्राथमिकता ऊर्जा की स्थिर आपूर्ति और किफायती दाम सुनिश्चित करना है।
विदेश मंत्रालय ने कहा, “भारत वैश्विक बाजार का जिम्मेदार साझेदार है। लेकिन किसी एकपक्षीय फैसले से हमारी ऊर्जा रणनीति नहीं बदलेगी। हम अपने हितों की रक्षा करेंगे।”
कूटनीतिक तनाव की आहट
इस घटनाक्रम के बाद भारत और अमेरिका के बीच कूटनीतिक संबंधों में खिंचाव की आशंका जताई जा रही है। भारत ने जहां अपनी स्थिति स्पष्ट की है, वहीं अमेरिकी व्यापारिक हलकों में भी इस फैसले को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं।यह देखना अब अहम होगा कि दोनों देशों के बीच आने वाले दिनों में व्यापार और रणनीतिक संबंध किस दिशा में आगे बढ़ते हैं।