शब्दरंग संवाददाता: ईरान ने दुनियाभर की आलोचनाओं और लगातार हो रहे विरोध प्रदर्शनों के बाद विवादास्पद हिजाब कानून को वापस लेने का निर्णय लिया है। यह कानून शुक्रवार को लागू होने वाला था, लेकिन अब इसे रोक दिया गया है।
राष्ट्रपति का बयान:
ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियान ने इस फैसले की पुष्टि करते हुए कहा कि हिजाब कानून में सुधार की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि समाज की भावनाओं को समझना और कानूनों को उनके अनुसार संशोधित करना सरकार की प्राथमिकता है।
महसा अमिनी की घटना का प्रभाव:
हिजाब विवाद की जड़ 2022 में महसा अमिनी की मौत से जुड़ी है। महसा अमिनी को हिजाब ठीक से न पहनने के आरोप में हिरासत में लिया गया था, जिसके बाद उनकी मौत हो गई। यह घटना ईरान में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों का कारण बनी, जहां महिलाओं ने हिजाब कानून के खिलाफ आवाज बुलंद की।
अंतरराष्ट्रीय निंदा:
महसा अमिनी की मौत के बाद दुनियाभर में ईरानी सरकार के हिजाब कानून की आलोचना हुई। मानवाधिकार संगठनों और विभिन्न देशों ने इसे महिला अधिकारों का उल्लंघन बताया और ईरान पर दबाव डाला कि वह इस कानून को रद्द करे।
महिलाओं की आजादी की ओर एक कदम:
ईरान में महिलाओं के लिए हिजाब पहनना अनिवार्य था, लेकिन इस फैसले के बाद यह नियम अब लागू नहीं होगा। इसे महिलाओं के अधिकारों और आजादी की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
विरोध प्रदर्शनों का प्रभाव:
ईरान में हजारों महिलाओं ने हिजाब कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किए। इन प्रदर्शनों में कई लोगों ने अपनी जान गंवाई, लेकिन यह संघर्ष अंततः सफल साबित हुआ।
आगे की राह:
ईरान सरकार अब कानून को संशोधित करने पर विचार कर रही है ताकि यह समाज के लिए अधिक स्वीकार्य हो। यह देखना बाकी है कि नए प्रावधान क्या होंगे और वे महिलाओं के अधिकारों को किस हद तक सुरक्षित रखेंगे।
कानून को वापस लेना न केवल ईरान बल्कि दुनियाभर में महिला अधिकारों की जीत के रूप में देखा जा रहा है। यह फैसला ईरान में एक नई सोच और बदलाव का प्रतीक बन सकता है।