ISS पहुंचे शुभांशु शुक्ला, Axiom-4 मिशन बना भारत की अंतरिक्ष यात्रा का नया अध्याय

फ्लोरिडा । 26 जून 2025, शब्दरंग समाचार:

41 वर्षों के बाद किसी भारतीय अंतरिक्ष यात्री ने फिर से अंतरिक्ष की ओर उड़ान भरी है। उत्तर प्रदेश के लखनऊ निवासी शुभांशु शुक्ला ने 26 जून 2025 को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर पहुंच कर इतिहास रच दिया। इससे पहले 1984 में राकेश शर्मा ने सोवियत यान के ज़रिए अंतरिक्ष यात्रा की थी।

इस मिशन ने भारत के साथ-साथ हंगरी और पोलैंड के लिए भी अंतरिक्ष विज्ञान में एक नई शुरुआत की है।

28.5 घंटे की यात्रा के बाद सफलतापूर्वक ISS से जुड़ा फाल्कन-9

स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट ने Axiom-4 मिशन के चार अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर कैनेडी स्पेस सेंटर (फ्लोरिडा) से उड़ान भरी। 28.5 घंटे के बाद यह यान 26 जून को शाम 4:05 बजे (भारतीय समय अनुसार) अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से सफलतापूर्वक जुड़ गया।

14 दिन में 60 वैज्ञानिक प्रयोग होंगे

Axiom-4 मिशन के तहत अंतरिक्ष यात्री 14 दिन ISS में बिताएंगे और 60 प्रयोग करेंगे। इनमें शामिल हैं:

  • सूक्ष्मगुरुत्व में मधुमेह और इंसुलिन से जुड़े प्रयोग
  • नई तकनीकों का परीक्षण
  • भारत के शिक्षण संस्थानों द्वारा डिजाइन किए गए 7 प्रयोग
  • मानव स्वास्थ्य और जैविक प्रभावों पर अध्ययन
  • नासा के साथ 5 सहयोगी प्रयोग

इन प्रयोगों का डेटा भविष्य के दीर्घकालिक अंतरिक्ष मिशनों जैसे गगनयान के लिए बेहद उपयोगी होगा।

मिशन छह बार हुआ स्थगित

इस सफल उड़ान से पहले Axiom-4 मिशन को 6 बार टालना पड़ा :

  • पहली बार 29 मई को यान तैयार नहीं था
  • 8 जून, 10 जून और 11 जून को तकनीकी समस्याएं व मौसम बाधा
  • 19 जून को मौसम और क्रू स्वास्थ्य
  • 22 जून को ISS मॉड्यूल मूल्यांकन

अंततः 26 जून को यह मिशन सफलतापूर्वक लॉन्च हुआ।

शुभांशु शुक्ला: पहले भारतीय जिन्होंने ISS तक की यात्रा की

1984 में राकेश शर्मा के बाद शुभांशु शुक्ला पहले भारतीय हैं जिन्होंने अंतरिक्ष में यात्रा की है, और वह पहले भारतीय हैं जिन्होंने ISS तक पहुंचने में सफलता पाई। शुभांशु की यह उपलब्धि भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ती है।

गगनयान मिशन में काम आएगा अनुभव

भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान 2027 में प्रस्तावित है। Axiom-4 से मिले अनुभव और डेटा का गगनयान की योजना, सुरक्षा, और प्रशिक्षण में बड़ा योगदान रहेगा। भारत ने इस मिशन पर करीब ₹548 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।

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