शब्दरंग समाचार: दिल्ली की कालकाजी विधानसभा सीट पर इस बार का चुनाव कई मायनों में खास है। वर्तमान मुख्यमंत्री आतिशी, बीजेपी के रमेश बिधूड़ी और कांग्रेस की अल्का लांबा के बीच मुकाबला देखने को मिल रहा है।
आतिशी का मुख्यमंत्री पद और चुनौती
आतिशी, जो इस समय दिल्ली की मुख्यमंत्री हैं, आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार हैं। उन्होंने 2020 में इस सीट पर जीत दर्ज की थी। हालांकि, इस बार हालात अलग हैं। भाजपा ने उनके खिलाफ रमेश बिधूड़ी जैसे दिग्गज नेता को मैदान में उतारा है। आतिशी के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर और उनके प्रतिद्वंद्वियों द्वारा उन्हें “टेंपरेरी सीएम” कहकर निशाना बनाया जा रहा है।
रमेश बिधूड़ी की विवादास्पद छवि
भाजपा उम्मीदवार रमेश बिधूड़ी, जो पहले दक्षिणी दिल्ली से सांसद रह चुके हैं, विवादित बयानों के लिए चर्चा में हैं। बिधूड़ी के हालिया आपत्तिजनक बयान, विशेषकर महिलाओं और विरोधी नेताओं के खिलाफ, उनकी छवि को प्रभावित कर सकते हैं। हालांकि, उनके समर्थक मानते हैं कि उनका लोकसभा में काम और अनुभव उनके पक्ष में काम करेगा।
अल्का लांबा का दावा और कांग्रेस की स्थिति
कांग्रेस ने महिला कांग्रेस की अध्यक्ष अल्का लांबा को मैदान में उतारा है। वह आतिशी पर तीखे हमले कर रही हैं, उन्हें “टीसीएम” कहकर निशाना बना रही हैं। कांग्रेस का इस सीट पर पिछला प्रदर्शन कमजोर रहा है, लेकिन अल्का लांबा इसे बदलने की उम्मीद कर रही हैं।
स्थानीय समीकरण
कालकाजी में पंजाबी समुदाय का वोट निर्णायक भूमिका निभाता है। पिछले तीन दशकों में अधिकतर चुनाव पंजाबी उम्मीदवार ही जीते हैं। भाजपा के लिए यह सीट चुनौतीपूर्ण हो सकती है क्योंकि बिधूड़ी गुर्जर समुदाय से हैं, जिसका इस क्षेत्र में खास प्रभाव नहीं है।
बयानबाज़ी और जनता की प्रतिक्रिया
बिधूड़ी के हालिया बयान, विशेषकर प्रियंका गांधी और आतिशी को लेकर, जनता के बीच चर्चा का विषय बने हुए हैं। कुछ मतदाता इसे महिला विरोधी मानते हैं और इससे युवा और पढ़े-लिखे मतदाताओं का झुकाव आप और कांग्रेस की ओर हो सकता है।
विश्लेषकों की राय
राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि आतिशी का पढ़ा-लिखा और महिला होना उनके पक्ष में काम करेगा। दूसरी ओर, बिधूड़ी के विवादित बयानों और क्षेत्रीय समीकरण उनके खिलाफ जा सकते हैं। कांग्रेस उम्मीदवार अल्का लांबा की उपस्थिति से भी आप और भाजपा के वोट बैंक में सेंध लगने की संभावना है।
कालकाजी सीट पर चुनाव का परिणाम तीन प्रमुख फैक्टर पर निर्भर करेगा – महिला मतदाताओं का झुकाव, भाजपा के बिधूड़ी पर दांव लगाने का असर, और कांग्रेस का पुनरुद्धार। आतिशी अपनी छवि और मुख्यमंत्री पद पर बने रहने की कोशिश करेंगी, जबकि बिधूड़ी और अल्का लांबा इसे चुनौती देने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।