महाकुंभ 2025: सांस्कृतिक महोत्सव का भव्य आगाज, 15 लाख विदेशी पर्यटकों के पहुंचने की उम्मीद

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प्रयागराज। शब्दरंग समाचार: प्रयागराज में महाकुंभ 2025 के दौरान श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए विशेष सुविधाओं और कार्यक्रमों की घोषणा की गई है। केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने रविवार को महाकुंभ के तहत ‘कलाग्राम’ का उद्घाटन करते हुए कहा कि इस आयोजन से भारत की सांस्कृतिक विविधता और धरोहर को वैश्विक पहचान मिलेगी।

विशेष हवाई यात्रा और पर्यटन सुविधाएं

मंत्री शेखावत ने बताया कि महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं की अयोध्या, काशी और मथुरा जैसे धार्मिक स्थलों तक पहुंच आसान बनाने के लिए विशेष हवाई यात्रा की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा, 15 लाख से अधिक विदेशी पर्यटकों के आने की उम्मीद है। इन पर्यटकों के लिए पर्यटन मंत्रालय ने “टेंट सिटी” तैयार की है, जहां आयुर्वेद, योग और पंचकर्म जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं।

कलाग्राम: भारतीय कला और संस्कृति का जीवंत मंचनागवासुकी क्षेत्र के सेक्टर 7 में 10 एकड़ में फैले ‘कलाग्राम’ को महाकुंभ 2025 का प्रमुख आकर्षण बताया गया है।

यहां चार धामों की झलक, 12 ज्योतिर्लिंगों का भव्य प्रवेश द्वार, अविरल शाश्वत कुम्भ प्रदर्शनी और 7 क्षेत्रीय संस्कृति आंगन के माध्यम से भारतीय कला, संस्कृति और परंपराओं का प्रदर्शन किया जाएगा।मंत्री ने बताया कि अनुभव मंडपम में 230 से अधिक कारीगर अपनी शिल्प कला का प्रदर्शन करेंगे। देशभर के पारंपरिक भोजन स्टॉल पर भारतीय व्यंजनों का स्वाद उपलब्ध होगा। इसके अलावा, 14,630 से अधिक सांस्कृतिक कलाकार रंगारंग प्रस्तुतियां देंगे।

सांस्कृतिक कार्यक्रमों की झलक

कलाग्राम में 13 जनवरी से 45 दिनों तक विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। गंगा पंडाल, झूंसी, नागवासुकी और अरैल में आयोजित इन कार्यक्रमों में क्षेत्रीय नृत्य, संगीत, कला प्रदर्शन और प्रतियोगिताएं शामिल होंगी। यह आयोजन भारतीय लोक कला और सांस्कृतिक धरोहर को एक वैश्विक मंच प्रदान करेगा।

महाकुंभ की वैश्विक पहचान

मंत्री शेखावत ने कहा कि महाकुंभ दुनिया का सबसे बड़ा मेला है, जो विविधता में एकता के भारतीय मूल्यों को दुनिया के सामने प्रस्तुत करेगा। संस्कृति मंत्रालय ने महाकुंभ को वैश्विक पहचान दिलाने के लिए विशेष प्रयास किए हैं।महाकुंभ 2025 में श्रद्धालुओं और पर्यटकों को भारतीय संस्कृति की समृद्ध धरोहर से जोड़ने का यह अनूठा प्रयास आस्था और परंपरा का अद्भुत संगम प्रस्तुत करेगा।

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