शब्दरंग संवाददाता: प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का एक भव्य और अनोखा आयोजन है। इस महापर्व का महत्व केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक भी है।मंगलवार को पहले अमृत स्नान के दौरान तीन करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं और साधु-संतों ने संगम में पवित्र डुबकी लगाई। यह स्नान 13 अखाड़ों के साधु-संतों की उपस्थिति में संपन्न हुआ। महाकुंभ के दौरान, त्रिवेणी संगम (जहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियां मिलती हैं) में स्नान को मोक्ष प्राप्ति और पापों के क्षय के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
महाकुंभ 2025 के मुख्य तथ्य:
1. आयोजन की अवधि: 13 जनवरी से 26 फरवरी तक।
2. स्नान की कुल संख्या: 6 प्रमुख स्नान, जिनमें से 3 अमृत स्नान हैं।
3. साधु-संतों की भागीदारी: 13 अखाड़ों के संत, जिनमें नागा साधु, तपस्वी, और अन्य प्रमुख परंपराओं के संत शामिल हैं।
अमृत स्नान को विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि यह आयोजन ज्योतिषीय गणनाओं के आधार पर होता है। ऐसा माना जाता है कि इस समय संगम में स्नान करने से अमृत तुल्य पुण्य की प्राप्ति होती है।यह आयोजन धार्मिकता, अध्यात्म और मानवता के संगम का एक अद्भुत प्रतीक है, जिसमें विश्वभर के लोग भारतीय परंपराओं और संस्कृति का अनुभव करने आते हैं।