
राज्य में शांति की अपील, दंगों के पीछे “फूट डालो और राज करो” की राजनीति का आरोप
कोलकाता, 20 अप्रैल 2025, शब्दरंग समाचार:
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार देर रात एक खुले पत्र के ज़रिए राज्यवासियों से शांति बनाए रखने की अपील की है। यह पत्र पिछले सप्ताह मुर्शिदाबाद ज़िले में वक़्फ़ क़ानून के विरोध प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा के बाद जारी किया गया, जिसमें तीन लोगों की मौत हुई थी और व्यापक आगजनी व तनाव का माहौल बना।
बीजेपी-आरएसएस पर आरोप
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने पत्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को राज्य में अशांति फैलाने का मुख्य दोषी ठहराया। उन्होंने लिखा:
“मैंने इससे पहले कभी आरएसएस का नाम नहीं लिया था, लेकिन अब मजबूरन कहना पड़ रहा है कि राज्य में जारी कुप्रचार के पीछे इसी संगठन का हाथ है।”
उन्होंने आरोप लगाया कि दोनों संगठन झूठे प्रचार और दुर्भावनापूर्ण अभियानों के ज़रिए राज्य में धार्मिक विभाजन की राजनीति को हवा दे रहे हैं। उन्होंने मुर्शिदाबाद हिंसा को एक उकसावे की घटना करार दिया, जिसका इस्तेमाल राजनीतिक लाभ के लिए किया जा रहा है।
शांति और सद्भाव की अपील
ममता बनर्जी ने अपने पत्र में लोगों से अपील की,
“हम बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक समुदायों से अपेक्षा करते हैं कि वे एक-दूसरे का खयाल रखें। हमें आपसी अविश्वास से बचना चाहिए और दंगों की निंदा करनी चाहिए। जो लोग इसमें शामिल हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है।”
राज्य बनाम केंद्र की बहस फिर से तेज़
मुख्यमंत्री ने पत्र में बीजेपी शासित राज्यों की स्थिति का ज़िक्र करते हुए यह संकेत दिया कि पश्चिम बंगाल में केंद्र की नीतियों और एजेंसियों का हस्तक्षेप राज्य की सामाजिक एकता के लिए खतरा बनता जा रहा है।
विपक्ष की तीखी प्रतिक्रिया
आरएसएस ने इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन बीजेपी नेता जगन्नाथ चटर्जी ने ममता बनर्जी के पत्र को विभाजनकारी बताया और कहा,
“मुर्शिदाबाद में अगर स्थिति बिगड़ी तो वह तृणमूल कांग्रेस की वजह से हुई, जिसने एक तबके को उकसाया और राज्य की पुलिस निष्क्रिय बनी रही।”
कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी और सीपीएम के सुजन चक्रवर्ती ने भी ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्य में बीजेपी और आरएसएस के बढ़ते प्रभाव की ज़मीन खुद ममता बनर्जी ने तैयार की थी।
मुर्शिदाबाद हिंसा के बाद पश्चिम बंगाल की राजनीति फिर से ध्रुवीकरण की ओर बढ़ रही है। मुख्यमंत्री के आरोपों ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है—क्या राज्य की सामाजिक शांति बाहरी हस्तक्षेप से खतरे में है, या राजनीतिक रणनीतियों का यह हिस्सा है? जवाब आने वाले दिनों की घटनाएं देंगी।