
शब्दरंग समाचार: पूर्व प्रधानमंत्री और महान अर्थशास्त्री डॉ. मनमोहन सिंह का 92 साल की उम्र में निधन हो गया। दिल्ली के एम्स में गुरुवार रात उनका देहांत हुआ। उन्होंने भारत को 1990 के दशक में आर्थिक संकट से बाहर निकालकर एक नई दिशा दी। आज उनकी नीतियों की वजह से भारत दुनिया की शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं में शुमार है।
1990 का आर्थिक संकट:
दिवालिया होने की कगार पर भारत1990 के दशक में भारत गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा था।विदेशी मुद्रा भंडार इतना कम हो गया था कि केवल दो हफ्ते के आयात का खर्च उठाया जा सकता था।सरकार को सोना गिरवी रखना पड़ा।’लाइसेंस परमिट राज’ ने उद्योग-धंधों को बंद कर दिया था।आर्थिक विकास ठप हो गया था, और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की साख गिर चुकी थी।
संकटमोचक बने मनमोहन सिंह
1991 में नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री बने और उन्होंने वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी डॉ. मनमोहन सिंह को सौंपी।डॉ. सिंह पहले आरबीआई गवर्नर और आर्थिक सलाहकार रह चुके थे।उनकी नियुक्ति का मकसद भारत की खोई हुई साख को बहाल करना और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से कर्ज प्राप्त करना था।
24 जुलाई 1991 का ऐतिहासिक बजट
मनमोहन सिंह ने बतौर वित्त मंत्री 1991 में एक ऐसा बजट पेश किया, जिसने भारत की आर्थिक दिशा बदल दी।
1. लाइसेंस राज का अंत:उद्योगों को सरकार की अनुमति के बिना कारोबार करने की आजादी दी गई।
2. अर्थव्यवस्था का उदारीकरण:विदेशी निवेश के लिए दरवाजे खोले गए।आयात-निर्यात नीति में सुधार किया गया।
3. नौकरी और विकास:विदेशी कंपनियों के आने से नई नौकरियां बनीं।लाखों लोग गरीबी रेखा से ऊपर उठे।
4. टेक्नोलॉजी और आईटी सेक्टर को बढ़ावा:सॉफ्टवेयर निर्यात पर टैक्स छूट दी गई, जिससे भारत आईटी हब बना।
1991 के बजट की मुख्य उपलब्धियां
- आर्थिक उदारीकरण: भारत की अर्थव्यवस्था को दुनिया के लिए खोला गया।
- विदेशी निवेश: नए निवेश और तकनीक का आगमन हुआ।
- नौकरियों का सृजन: लाखों नए रोजगार के अवसर बने।
- गरीबी में कमी: करोड़ों लोग गरीबी रेखा से ऊपर उठे।
- ट्रेड पॉलिसी में सुधार: भारत का अंतरराष्ट्रीय व्यापार मजबूत हुआ।
मनमोहन सिंह की विरासत
डॉ. सिंह के नेतृत्व में भारत ने आर्थिक सुधारों की नींव रखी। उनकी नीतियों ने भारत को आज वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक मजबूत स्थान दिलाया। उन्होंने न केवल तत्कालीन संकट का समाधान किया बल्कि एक ऐसी अर्थव्यवस्था की नींव रखी, जो आज दुनिया में तेजी से बढ़ रही है।डॉ. मनमोहन सिंह का निधन भारत के लिए अपूरणीय क्षति है। उनकी नीतियां और योगदान हमेशा याद किए जाएंगे।