
शब्दरंग समाचार: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मुर्शिदाबाद में वक्फ़ कानून के विरोध के दौरान भड़की सांप्रदायिक हिंसा को “पूर्व नियोजित दंगा” बताते हुए इसके लिए बांग्लादेशी तत्वों, सीमा सुरक्षा बल (BSF) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) को ज़िम्मेदार ठहराया है। कोलकाता में मुस्लिम धर्मगुरुओं के साथ एक पहले से निर्धारित बैठक में ममता बनर्जी ने यह आरोप लगाए, जिससे राजनीतिक तापमान और भी बढ़ गया है।
मुख्यमंत्री के आरोप
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस हिंसा में बाहरी तत्व शामिल थे, जिनका संबंध बांग्लादेश से है। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर सीमा पार से लोग घुसपैठ कर रहे हैं और हिंसा में शामिल हो रहे हैं, तो इसके लिए सीधे तौर पर केंद्र सरकार और बीएसएफ़ जिम्मेदार हैं, क्योंकि सीमा की सुरक्षा उनके अधीन है।
ममता ने अपने भाषण में यह भी कहा कि उन्हें सूचना मिली है कि किशोरों को पैसे देकर पत्थरबाजी के लिए उकसाया गया। उन्होंने दावा किया कि यह सब कुछ भाजपा की सुनियोजित योजना का हिस्सा था, जिसे पहले रामनवमी के दिन अंजाम देने की कोशिश की गई थी लेकिन विफल रहे, और अब वक्फ़ कानून के विरोध की आड़ में इसे अंजाम दिया गया।
बीजेपी का पलटवार
भाजपा ने मुख्यमंत्री के इन आरोपों को पूरी तरह खारिज किया है। पार्टी नेताओं ने सवाल उठाया कि अगर मुख्यमंत्री के दावों में सच्चाई है तो सरकार यह बताए कि इस हिंसा में गिरफ्तार किए गए 200 से अधिक लोगों में कितने बांग्लादेशी हैं। साथ ही भाजपा नेताओं और सोशल मीडिया यूज़र्स ने ममता बनर्जी द्वारा BSF पर लगाए गए आरोपों को देश की सुरक्षा एजेंसियों का अपमान बताया है और कड़ी कानूनी कार्रवाई की मांग की है।
राजनीतिक संकेत और रणनीति
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने यह भाषण मुख्य रूप से हिंदी में दिया, जिससे राजनीतिक पर्यवेक्षक मानते हैं कि उनका मक़सद बंगाल के गैर-बंगाली मुस्लिम समुदाय को संबोधित करना था। इसका एक उद्देश्य यह भी हो सकता है कि आने वाले लोकसभा चुनावों में मुस्लिम मतों को एकजुट रखा जा सके और भाजपा के नैरेटिव को चुनौती दी जा सके।
विशेषज्ञों की राय
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि ममता बनर्जी का यह रुख न सिर्फ़ केंद्र सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश है, बल्कि इससे वो राज्य सरकार की भूमिका को बचाने और हिंसा की ज़िम्मेदारी केंद्र पर डालने का प्रयास भी कर रही हैं। यह बयानबाज़ी आने वाले चुनावों को ध्यान में रखते हुए एक राजनीतिक संदेश भी देती है — कि राज्य सरकार अल्पसंख्यक समुदाय के साथ खड़ी है और भाजपा पर धार्मिक ध्रुवीकरण का आरोप लगा रही है।
मुर्शिदाबाद की हिंसा अब केवल कानून व्यवस्था का मामला नहीं रह गया है, बल्कि इसमें सीमा सुरक्षा, अंतरराष्ट्रीय संबंध, और चुनावी राजनीति के गहरे तत्व जुड़ गए हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का बांग्लादेश और BSF पर सवाल उठाना केवल एक सुरक्षा प्रश्न नहीं है, बल्कि यह एक राजनीतिक रणनीति भी है, जिससे वे यह संदेश देना चाहती हैं कि सांप्रदायिक तनाव फैलाने की साज़िश राज्य के बाहर से रची जा रही है।





